Positive India:Vishal Jha:
मैंने भी नहीं सुनी ‘चौथी पास राजा’ की कहानी। लेकिन इस कहानी के पीछे एक बेहतरीन कहानी है। ‘दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति नरेंद्र मोदी हैं’ वाली कहानी के बाद, दिल्ली विधानसभा में ‘चौथी पास राजा’ की यह दूसरी कहानी पटल पर रखी गई। शराब घोटाले में सीबीआई की घंटों पूछताछ के बाद कल होकर ही केजरीवाल ने विधानसभा के विशेष सत्र बुलाए और ‘चौथी पास राजा’ की कहानी सुनाई। अरविंद केजरीवाल पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो सड़कों पर जन सरोकार की बात करते हैं और सदन के पटल पर कहानियां सुनाते हैं। कहानी सुनाकर जब बाहर आए तब पत्रकारों को संबोधित किया। केजरीवाल ने पत्रकारों को ताना मारा और सदन में महत्वपूर्ण कहानी का हवाला देते हुए चैनल पर लाइव नहीं चलाए जाने को लेकर चैनल के मालिकों और संपादकों को खूब खरी-खोटी सुनाई।
न्यूज़ 18 के किशोर अजवानी की चौपाल में मार्च में केजरीवाल आए थे। केजरीवाल ने किशोर अजवानी को फटकारते हुए कहा कि, नरेंद्र मोदी का नाम लेते ही आप कूदने लगते हैं, आप उनकी वकालत करते हैं। किसी भी राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार के लिए सामने से ऐसी बात कह देना जरूर दुस्साहस का काम है। लेकिन केजरीवाल जैसे राजनीतिक भी ऐसी दुस्साहस करें, यह किशोर अजवानी जैसे बड़े पत्रकारों के लिए इगो हर्ट की बात है। किशोर अजवानी हो या अमीश देवगन, ऐसे पत्रकार काबिल तो होते हैं, लेकिन चतुर नहीं। सामने से कोई पैनल गेस्ट अथवा साक्षात्कारदाता पत्रकार के सेल्फ रिस्पेक्ट पर हमला करता है, तो ये पलट कर जवाब नहीं देते। हो सकता है इनकी शालीनता हो अथवा शब्दों से खेलना ना जानते हो। या बस अपने काम से काम रखते हों।
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पत्रकारों की भरी सभा में जब पहली बार मुखातिब हुए, तो संबोधन में उन्होंने बड़ी रोचक बात कही। ना उन्होंने पूरी पत्रकारिता को दो वर्गों में बांटने का प्रयास किया, जैसा कि राहुल गांधी से लेकर अमेरिका के नेता तक करते हैं। बल्कि नरेंद्र मोदी तो प्रधानमंत्री बनने से पहले भी करण थापर जैसे रेडिकल लेफ़्टिस्ट पत्रकारों का इंटरव्यू अपने ऊपर तोहमत लेकर अधूरी छोड़ जाते हैं। उल्टे पत्रकारों को ही मौका देते हैं कि साक्षात्कारदाता के खिलाफ पूरी नेगेटिव हेडलाइन चलाई जा सके। उन्होंने कभी सोनिया गांधी का नाम लेकर पत्रकारों को डांटा नहीं। बल्कि करण थापर से दोस्ती बरकरार रहे, ऐसी बात बताकर इंटरव्यू स्कीप कर गए। हां, तो प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार मोदी जी जब पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि, जब मैं पार्टी का कार्यकर्ता हुआ करता था और कार्यालय में मीडिया कांफ्रेंस बुलाया जाता था तब मैं आप पत्रकारों के लिए कुर्सी साफ करके लगाता था।
किसी के लिए यह स्वीकार नहीं होगा यदि कहा जाय कि तमाम चैनल नरेंद्र मोदी से किसी प्रकार नफरत नहीं करते, इसके लिए भाजपा कोई पैसा-पावर का इस्तेमाल नहीं करती। हां पैसा और सत्ता से मीडिया की कुछ कवरेज मैनेज की जा सकती है। एक समय सीमा तक यह भी संभव है कि एक समाचार चैनल ही मैनेज किया जा सकता है। लेकिन पत्रकार जब जूता, कोट-पैंट तथा टाई उतारकर स्टूडियो से निकलकर, बिल्कुल सनातनी वेश में धोती कुर्ता पहन कर मंदिर जाते हैं और वहां पूजा आराधना करते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। किसी पावर-पैसे में इस स्तर तक मैनेजमेंट की क्षमता कैसे हो सकती है? आज तक के शुभंकर मिश्रा, ज़ी न्यूज़ के दीपक चौरसिया, न्यूज़ एटिन के अमीश देवगन जैसे तमाम पत्रकार इन कार्यों में सबसे आगे हैं। टीवी चैनल पर यदि पंथनिरपेक्ष दिखने के बजाए, ये पत्रकार धार्मिक दिखते हैं, तो इसके पीछे धर्म के प्रति इन लोगों का एक्स्पोज़र है। इस धार्मिक एक्सपोजर का एकमात्र कारण नरेंद्र मोदी ही हैं। लेकिन उनकी सत्ता और पैसा के बूते पर नहीं, पत्रकारों से उनके प्रेम के बूते पर।
पैसे देकर केजरीवाल ने मीडिया को अवश्य मैनेज किया था। को-रोना के समय में केजरीवाल जी की छोटी-छोटी बात पर भी मीडिया पूरा लाइव कवरेज देती थी। पूरा विमर्श उनके नाम हुआ करता था। ऐसा लगता था पूरे भारत में एक ही मुख्यमंत्री होते हैं और एक ही एसेंबली हाउस होता है। को-रोना के समय अरविंद केजरीवाल डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बने हुए थे और दिल्ली सरकार का कॉन्फ्रेंस सेल जैसे पार्लियामेंट का तीसरा सदन। मैनेजमेंट की एक्सपायरी डेट खत्म हुई और आज फिर केजरीवाल वापस वही हैं। अब फिर केजरीवाल मीडिया में अपनी फिर से वही खोई प्रतिष्ठा चाह रहे हैं। बगैर पैसों के चाह रहे हैं। लेकिन ‘चौथी पास राजा’ की कहानी एबीपी न्यूज़ और जी न्यूज़ को छोड़कर किसी भी चैनल वालों ने लाइव नहीं दिखाया। इस कारण केजरीवाल और कुपित हो गए और सदन से बाहर निकलकर चैनल मालिकों को खूब फटकार लगाई। मीडिया या तो टीआरपी के लिए काम करती है अथवा पैसों के लिए। अपने इगो को हर्ट करके क्यों कोई मीडिया केजरीवाल जी के लिए काम करेगा? इतनी छोटी सी बात खूब पढ़ा लिखा होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल समझ नहीं पाए, अर्थात् स्वयं ‘चौथी पास कहानी’ समझ नहीं पाए।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)