अगर कायस्थों में थोड़ी महत्वाकांक्षा जाग जाए और कि वह भी बाबू राजेंद्र प्रसाद का संविधान कहने लग जाएं तब क्या होगा ?
- दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
9 महिलाओं सहित 299 सदस्यों वाली संविधान सभा के अध्यक्ष बाबू राजेंद्र प्रसाद थे । कुल 23 कमेटियां थीं । इन में एक ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष भीमराव रामजी आंबेडकर थे । सिर्फ़ ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन संविधान निर्माता का दर्जा कैसे पा गया , मैं आज तक नहीं समझ पाया । जगह-जगह संविधान हाथ में लिए मूर्तियां लग गईं । तो राजेंद्र प्रसाद सहित बाकी सैकड़ो सदस्य क्या घास छिल रहे थे ।
अगर कायस्थों में थोड़ी महत्वाकांक्षा जाग जाए और कि वह भी बाबू राजेंद्र प्रसाद का संविधान कहने लग जाएं तब क्या होगा ? आख़िर वह संविधान सभा के अध्यक्ष रहे थे । जब की आंबेडकर सिर्फ़ ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष । दिलचस्प यह कि संविधान सभा के पहले अध्यक्ष सच्चिदानंद सिनहा भी कायस्थ थे । फिर अच्छा-बुरा यह भारत का संविधान है , किसी आंबेडकर का संविधान नहीं । और वह लोग अंबेडकर का नाम सब से ज़्यादा लेते हैं जिन को उन के पूरे नाम में रामजी का जुड़ जाना ऐसे दुखता है गोया कलेजे में कांटा चुभ गया हो । भीमराव रामजी आंबेडकर लिखते ही कितनों के प्राण सूख गए । तब जब कि संविधान पर तमाम दस्तखत के साथ आंबेडकर के भी दस्तखत हैं । भीमराव रामजी आंबेडकर ।
महाराष्ट में परंपरा है कि मूल नाम के बाद पिता का नाम भी लिखा जाता है । रामजी आंबेडकर के पिता का नाम है । लेकिन यह कमीनी राजनीति है जो भारत के संविधान को आंबेडकर का संविधान कहने की निर्लज्ज मूर्खता की जाती है और सारी कुटिल राजनीतिक पार्टियां और ज़िम्मेदार लोग ख़ामोश रहते हैं । ऐसे ही आंबेडकर के नाम में रामजी नाम भाजपा सिर्फ़ दलितों का वोट जाल में फंसाने के लिए जोड़ती है और बाक़ी पार्टियां यह सही होते हुए भी ऐसे भड़क जाती हैं गोया लाल कपड़ा देख कर सांड़ ! बाकी आंबेडकर को बेचने वाले दुकानदारों की तो बात ही निराली है । गोया अंबेडकर की दुकान खोल कर वह आंबेडकर को बेचने के लिए ही पैदा हुए हैं । कि बड़ी-बड़ी कारपोरेट कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन पानी मांगें ।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)