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प्रधानमंत्री की डिग्री फ़र्ज़ी बताते वालों को भी कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए । 25000 ₹ जुर्माना बहुत कम है

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkaml Goswami:
जिन लोगों का दावा है कि प्रधानमंत्री जी की डिग्री फ़र्ज़ी है वे चुनाव आयोग के समक्ष जाकर साबित करें । यदि उनका दावा सत्य हुआ तो प्रधानमंत्री जी का चुनाव निरस्त हो जायेगा और वाराणसी सीट ख़ाली हो जाएगी ।

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दूसरा रास्ता है कि फ़र्ज़ी शपथपत्र देने के आरोप में पुलिस थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराएँ और पुलिस की जाँच में सहयोग दें । यदि सही सुबूत मिले तो फ़र्ज़ी डिग्री का पूरा गिरोह पकड़ा जायेगा । आप पार्टी के फ़र्ज़ी डिग्री विशेषज्ञ दिल्ली के भूतपूर्व क़ानून मंत्री की इसमें मदद ली जा सकती है ।

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तीसरा रास्ता अदालत का है । अदालत तो सब कुछ कर सकती है । परम स्वतंत्र न सिर पर कोई । वहीं याचिका करें । याचिका करना आपका मौलिक अधिकार है अनुच्छेद ३२ के अंतर्गत ।

जनता जनार्दन के सामने रोना रोने से कुछ नहीं होगा । इन सब आरोपों के बाद भी मोदी जी २०१९ का चुनाव प्रचंड बहुमत से जीत गए । जनता प्रेयसी की तरह होती है जो अपने प्रेमियों के अवगुणों से भी प्रेम करती है । नेहरू एडविना संबंधों पर उस दौर में बहुत दुष्प्रचार हुआ मगर जनता ने उसे नेहरू जी की गौरवमयी सफलता माना कि अंग्रेजों के सबसे बड़े लाट की पत्नी भी उसके नेता पर फ़िदा है । नेहरू जब तक रहे कांग्रेस कभी ३५० से कम सीट लेकर नहीं आई लोकसभा में ।

और अगर ख़ुदा न ख़्वास्ता मोदी जी हार भी गए तो डिग्री फ़र्ज़ी तो नहीं हो जाएगी । डिग्री का निर्णय बहुमत से तो नहीं होता है जाना तो अदालत ही पड़ेगा ।

डिग्री फ़र्ज़ी बताते वालों को भी कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए । २५०००₹ जुर्माना बहुत कम है ।

साभार :राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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