Positive India:Vishal Jha:
सरकार भले तुम्हारी है, लेकिन सिस्टम तो हमारा है! ये मशहूर पंक्ति आज दगा दे गया। सपने में भी किसीने नहीं सोचा होगा कि राहुल गांधी की सांसदी जा सकती है। जब कॉलेजियम सिस्टम न्यायपालिका में लागू करने की बात हुई, सत्ता में इंदिरा गांधी थी। कॉलेजियम सिस्टम के लिए लेफ्ट का पूरा कुनबा कमर कस चुका था। इंदिरा गांधी स्वयं को सॉफ्ट पेश करने के लिए कॉलेजियम सिस्टम को लागू होने दिया।
’14 के बाद देश की राजनीति ने जब नया करवट लिया, कॉलेजियम सिस्टम को कैश करने का हर लाभ कांग्रेस ने उठाया। कांग्रेस को जैसे लगा कॉलेजियम बड़ा फायदे का सौदा साबित हो रहा है। इसलिए एनजेएसी व्यवस्था में तमाम तंदुरुस्ती होने के बावजूद, न्यायपालिका की स्वायत्तता के नाम पर भाई भतीजावाद को पोषित होने देने में कांग्रेसी दमखम से साथ दे रहे हैं। ये अलग बात है कि मोदी जी ने फिर भी अपने घोषणा पत्र में तकरीबन महत्वाकांक्षी एजेंडों को न्यायपालिका के इस्तेमाल से ही लागू करवा लिया और न्यायपालिका अपने कॉलेजियम की माला जपती रह गई।
आज सरकार भले हमारी हो, सिस्टम तो तुम्हारा था? कॉलेजियम भी तुम्हारा ही था! फिर क्या हुआ? अब कोई ये ना कहे कि कॉलेजियम का निचली अदालतों से क्या लेना देना? आज भी कांग्रेस निष्पक्ष होकर यदि सोचे तो एनजेएसी लागू करवा ले। कम से कम कांग्रेश को इतना तो विश्वास रहेगा कि कमेटी में एक सदस्य विपक्ष का भी होता है। दो साल की सजा राहुल गांधी को मुकर्रर होने के बाद मलिकार्जुन खरगे ने क्या बयान दिया, कि जजों की जिस प्रकार से अदला-बदली की गई पहले ही आशंका थी। तो इसलिए सिस्टम और कॉलेजियम के कैसीनो से कांग्रेश बाहर निकल जाए। बेहतर रहेगा ये खेल वामपंथियों का है, उन्हें खेलने देना चाहिए।
कांग्रेस के काउंटर में कभी जनता पार्टी की राजनीति हुआ करती थी। भूल जाए कांग्रेस उन दिनों को। आज मुकाबला मोदी की राजनीति से है। इंदिरा गांधी पीएम बनकर लोकसभा में घुस गई थी। मुगालते में ना रहें, नई नवेली नेत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी से भगाया और आज वायनाड जैसे सेफ जगह से भी राहुल गांधी असुरक्षित ठहर गए। साथ-साथ अपने इंदिरा वाली तानाशाही रवैया से कांग्रेसी बाज आ जाएं। कार्यपालिका, न्यायपालिका, जांच एजेंसियों जैसे लोकतांत्रिक इंस्टीट्यूशंस का सम्मान करना सीखें। क्योंकि मुकाबला अकेले मोदी से नहीं है, देश की समूची जनता स्वयं सत्ता धारण किए हुई है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)