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फिर हंड्रेड परसेंट आरक्षण और हंड्रेड परसेंट सेक्यूलरिज्म

-दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
आज़ादी की लड़ाई में डाक्टर भीमराव आंबेडकर और मोहम्मद अली जिन्ना के कभी जेल जाने , अंग्रेज पुलिस की लाठी खाने आदि-इत्यादि के कोई विवरण की जानकारी अगर किसी के पास हों तो ज़रुर साझा करे । जिन्ना तो अपना पाकिस्तान ले कर निकल लिए। पर अंबेडकर आज भी नासूर बने हुए हैं। असल में आंबेडकर ने जो भी किया सिर्फ़ अपनी जाति के लिए किया। इस के अलावा कुछ और किया हो तो कोई बताए भी । वह तो अंगरेजों की शह पर पाकिस्तान की मांग के पहले दलितिस्तान बनाना चाहते थे । लेकिन गांधी ने सदाशयता बरतते हुए उन्हें भारत में रहने के लिए बच्चों की तरह पुचकार कर , दुलार कर , घुटने टेक कर मनाया ।

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काश कि गांधी ने ऐसा नहीं किया होता । पाकिस्तान की तरह एक दलितिस्तान भी बन जाने दिया होता । तो शायद दलित लोग ज़्यादा सुखी रहते । शायद देश भी ज़्यादा सुखी रहता । इसी तरह मुस्लिम जन को भी पाकिस्तान जाने से न मनाया होता गांधी ने तो और बात होती । भारत से कम से कम जातीय और धार्मिक राजनीति का जहर निकल गया होता । अमन और शांति होती । ऐसा हो गया होता तो गांधी से बड़े नेता आज अम्बेडकर न कहे जाते । ब्लैकमेलिंग की यह राजनीति न होती । आरक्षण का यह कोढ़ न होता । जैसे जिन्ना पाकिस्तान पा कर अपनी खुशी में जिए , पाकिस्तान बहुत ख़ुश है , वैसे अम्बेडकर भी खुश हुए होते अपना दलितिस्तान पा कर । उन के लोग ख़ूब खुश रहते । इतना दुःख न होता उन के लोगों को , जितना आज है । लोग बताते हैं सदियों से है ।

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मेरा तो मानना है कि अभी भी दलितों को उन की आबादी से अधिक अनुपात में हिस्सा दे कर उन्हें आज़ाद कर देना चाहिए । सवर्णों को एक छोटा सा टुकड़ा , सवर्णों की आबादी के अनुपात से भी कम दे कर अनिवार्य रुप से अलग कर देना चाहिए । ताकि दलित लोग सुराज पा कर खुश रहें । इस देश में सुनते हैं उन को दुःख बहुत है । मुसलमानों को भी अब एक और टुकड़ा उन की आबादी से अधिक अनुपात में दे दिया जाना चाहिए । उन का दुःख भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है । तो इस तरह रोज-रोज की चिक-चिक से हर किसी को मुक्ति मिले। जय भीम , जय मीम की बहार है ही इन दिनों । बल्कि मेरा तो यह भी कहना है कि देश का तीन चौथाई भूगोल दलितों और मुसलमानों को दे दिया जाना चाहिए । बाकि एक चौथाई में शेष लोग गुजर कर लेंगे । फिर हंड्रेड परसेंट आरक्षण और हंड्रेड परसेंट सेक्यूलरिज्म । रही बात देश की एकता , अखंडता की तो यह सब निरी चोचलेबाजी है । राजनीतिक चोचलेबाजी है ।

देश तो बुरी तरह बंट चुका है विभिन्न जातियों और विभिन्न धार्मिक टुकड़ों में । कहा जाता है कि इस सब की जड़ में सवर्ण हैं । खास कर ब्राह्मण । तो इन को इन की आबादी के अनुपात से चौथाई ही सही एक छोटा सा टुकड़ा दे कर बहिष्कृत कर दिया जाना चाहिए । या फिर कोई थ्येनमान चौक बना कर उड़ा देना चाहिए । ताकि बाकी लोग सुख-चैन से रह सकें । आखिर घरों में भी दिक्कत बढ़ती है तो बंटवारा होता ही है । तो इस में भी बहुत दिक्कत नहीं होगी । हर कोई अपना-अपना कमाए , खाए । ख़ुशी से रहे । कमाने वाला खाएगा , पुराना नारा है । इस पर अमल अब बहुत ज़रुरी हो चला है । सर्वे भवन्तु सुखिनः !

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

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