100 से ऊपर आतंकवादी संगठन पीएफाई के कार्यकर्ताओं को एनआईए ने गिरफ्तार किया पर कहीं एक परिंदा भी पर क्यो न मार सका?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
विनम्रता बलवान पुरुष का श्रृंगार है। आप जितने ताकतवर होते हैं उतना ही आपको विनम्र होना चाहिए। आपकी आवाज जब सुनने वाला कोई ना हो तब आपको चीखना चाहिए। लेकिन जब आपकी आवाज दूर तक सुनी जाती हो, लंबे समय तक सुनी जाती हो, तब आपको धीमे बोलना चाहिए।
श्री मोहन भागवत से बलशाली आज भारत की सामाजिक राजनीति में कोई नहीं है। फिर जब वे बोलते हैं तो न केवल पूरा देश सुनता है बल्कि उनकी आवाज सीमा के पार तक सुनी जाती है। स्वाभाविक है उनमें विनम्रता होनी चाहिए। उनमें विनम्रता इतनी है कि उनके ही लोग उन्हें कायर कहकर गाली देते भी नहीं थकते। इसका मतलब हुआ कि बलशाली पुरुष की उच्चतम मर्यादा को वे छूते है।
आज भारत के 11 राज्यों में करीब 100 से ऊपर आतंकवादी संगठन पीएफाई के कार्यकर्ताओं को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया है। और कहीं एक परिंदा भी पर न मार सका है अब तक। यह कोई मामूली घटना नहीं है। मोहन भागवत जैसे गैर-राजनीतिक गैर-प्रशासनिक लोगों ने खुले में आकर इसकी पूरी सामाजिक तैयारी की। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के लीडर इंद्रेश कुमार के साथ तमाम मुस्लिम बुद्धिजीवियों से उन्होंने मुलाकात की।
मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मोहन भागवत की मुलाकात को भी भागवत जी की कायरता से जोड़कर देखा गया। लेकिन आज सुबह-सुबह जो खबर आई इसके लिए मैं भागवत साहब की प्रशंसा नहीं लिखता। किन्तु इसी बहाने उन्हें समय-समय पर कायर बताने वालों को श्रद्धा सुमन डालना चाहता हूं। इंद्रेश कुमार को तो अपने ही लोगों ने न जाने क्या-क्या कहा? फिर भी इंद्रेश कुमार कभी पलट कर जवाब देते नहीं देखे गए। उनके धैर्य कि मैं प्रशंसा करता हूं। मोहन भागवत और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच सार्थक संवाद में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं इंद्रेश कुमार।
शाहीन बाग दिल्ली विधानसभा चुनाव के बावजूद चलता रहा। लेकिन तब सबसे ज्यादा गाली अपने ही लोगों ने अमित शाह को दी थी। संभव है लोगों का धैर्य वक्त वक्त पर जवाब दे जाता हो, अथवा प्रश्न पूछ कर कर निष्पक्षता का प्रमाण पत्र प्राप्त करने की खुजलाहट हो। लेकिन इतना सत्य है कि पीएफआई पर इतना बड़ा क्रैकडाउन रातो रात की तैयारी से नहीं हुआ है। इसकी तैयारी को शाहीन बाग काल से देखना होगा।
शाहीन बाग को लंबा चलाने के लिए तमाम तरह के फंडिंग सोर्स को सक्रिय करना पीएफआई जैसे किसी संगठन के लिए सबसे प्राथमिक जरूरी होता है। शाहीनबाग जितना लंबा खींचाया, देश को इसका काफी नुकसान हुआ। लेकिन एनआईए को उतनी ही डाटा, उतनी ही सुविधा से प्राप्त हुई। किसान आंदोलन से भी देश को भारी क्षति पहुंची। लेकिन जब खतरा देश के सामर्थ्य से ऊपर संकेत करने लगा, मोदी जी ने कानून वापस लेकर आंदोलनकारियों की जमीन खींच ली। इस वक्त सबसे ज्यादा गाली खाने की बारी अबकी बार नरेंद्र मोदी जी की थी। लेकिन मोदीजी ने जवाब नहीं दिया, अपना एक्शन दिखाया है। उचित समय बहुत मायने रखता है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार है)