पॉजिटिव इंडिया :दिल्ली; ईमानदारी से कोशिश के बावजूद व्यावसायिक विफलता पर कोई कलंक नहीं होना चाहिए और कंपनियों को सम्मानजनक तरीके से बाहर निकलने का मौका देना चाहिए।भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरमैन रवि मित्तल ने शुक्रवार को यह बात कही।उन्होंने कहा कि भारत में दिवाला प्रक्रिया अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और दिवाला ढांचे को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है।
आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत आईबीबीआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मित्तल ने कहा कि यदि कोई कंपनी बाहरी कारणों सहित किसी भी वजह से विफल हो जाती है, तो उसे बाहर निकलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कंपनी पर असफलता से जुड़ा कोई कलंक नहीं होना चाहिए और उसे फिर से शुरुआत करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मित्तल ने कहा,अगर कोई कंपनी किसी भी वजह से विफल हो जाती है तो उसे बाहर निकलने की अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसा तब हो सकता है, जब आईबीसी या आईबीसी जैसा कोई समाधान मौजूद हो। किसी भी विकासशील अर्थव्यवस्था में, हम चाहते हैं कि निजी क्षेत्र निवेश करे और यदि निजी क्षेत्र निवेश करेगा, तो निजी क्षेत्र को जोखिम उठाना होगा और यदि वह जोखिम लेता है तो कुछ विफलताएं होनी तय हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह विफलता कुप्रबंधन जैसे आंतरिक कारकों या पर्यावरणीय कारकों जैसे बाहरी कारणों के चलते हो सकती है। ऐसे मामलों में, विफलता से जुड़ा कोई कलंक नहीं होना चाहिए।
साभार पीटीआई।
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