बस्तर की महिलाओं ने चट्टानी इरादों से पथरीली जमीन में उगाए पपीते
एशिया में पहली बार की गई उन्नत अमीना किस्म के पपीते की खेतीऑटोमेटेड ड्रिप इर्रिगेशन सिस्टम और मोबाइल एप्प द्वारा बाड़ी में लगे वेदर स्टेशन से महिलाएं कर रहीं आधुनिक खेती
पॉजिटिव इंडिया:बस्तर;
कहते हैं इरादे अगर चट्टानी हों तो पत्थर में भी फूल खिलते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, बस्तर की इन महिलाओं ने। मां दन्तेश्वरी पपई उत्पादन समिति की 43 महिलाओं की मेहनत से अब बस्तर के मंगलपुर गांव की पथरीली जमीन में भी पपीता के अंकुर फूट रहे हैं।मंगलपुर की ये पपीता बाड़ी नरवा गरुवा घुरूवा बाड़ी योजना की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
माँ दन्तेश्वरी समिति की हेमवती कश्यप ने मुख्यमंत्री को आज अपनी सफलता की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि हमने 10 एकड़ में 300 टन पपीता उगाकर 40 लाख रुपये का विक्रय किया, पपीता की खेती कर हमें पहली बार हवाईजहाज में बैठ दिल्ली जाने का मौका मिला, हमारी ज़िंदगी आपकी सरकार बदल रही है।
मुख्यमंत्री ने महिलाओं को पपीता की खेती से दिल्ली का हवाई सफर करने और एक साल में लागत वसूल कर 10 लाख की कमाई करने पर बधाई दी।एक साल में लागत वसूलने और 10 लाख की कमाई पर मुख्यमंत्री ने महिलाओं को दी बधाई मंगलपुर की पपीता बाड़ी है नरवा गरुवा घुरूवा बाड़ी योजना की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण-10 एकड़ में 300 टन पपीता उगाकर किया 40 लाख का विक्रय
दिल्ली की सब्जी मंडी में 80 रुपये प्रति किलो में बिक रहा यहां का पपीता
मुख्यमंत्री ने किया मंगलपुर में पपीता बाड़ी का निरीक्षण
समिति की सचिव हेमा कश्यप ने बताया कि ये जमीन बहुत ही पथरीली और बंजर थी, जमीन को खेती लायक बनाने के लिए डेढ़ महीने तक महिलाओं ने हाथों से पत्थर बीने और तकरीबन 100 ट्राली पत्थर बाहर किये। बाहर से लाल मिट्टी लाकर जमीन को समतल किया गया। महिलाओं ने समतलीकरण में श्रम दान दिया। पपीता का पौधा लगाने के लिए बेड बनाये। बड़ा बेड बनाने के लिए पुनः मिट्टी डाली गई। दिसम्बर 2021 में महिलाओं द्वारा शुरू किया गया जमीन तैयार करने का काम लगभग डेढ़ महीने चला, तब जाकर 11 जनवरी 2021 को पपीता के पौधे का रोपण शुरू हुआ। ये इन महिलाओं की कड़ी मेहनत ही है कि आज 10 एकड़ के क्षेत्र में 5500 पपीता के पौधे लहलहा रहे हैं। अभी तक 300 टन पपीते का उत्पादन हो चुका है। यहां इंटर क्रॉपिंग द्वारा पपीते के बीच मे सब्जियाँ उगाई जा रही हैं।एशिया में पहली बार यहां उन्नत अमीना किस्म के पपीते की खेती की जा रही। ये पपीता बहुत मीठा और स्वादिष्ट होने साथ ही पोषक भी होता है।