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सोचिए ज्ञानवापी के महंत पन्ना शिवलिंग को लेकर कुएं में क्यों कूद गए होंगे?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
सोचिए ज्ञानवापी के महंत पन्ना शिवलिंग को लेकर कुएं में क्यों कूद गए होंगे? ताकि शिवलिंग आतताइयों के स्पर्श से भी दूर रहे। पवित्र रहे। महंत जी को मालूम था ये मजहबी आक्रांता शिवलिंग को लेकर उसे मस्जिद की सीढ़ियों में डलवा देते हैं। मांस बेचने वाले कसाईयों को दे देते हैं। ये सिलसिला गजनबी से ही शुरू हो गया था।

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गजनबी ने जब सोमनाथ को लूटा था तो लूटी हुई संपत्तियों के साथ वह मूर्तियों को भी अपने साथ ले गया। मंदिर के ब्राह्मणों ने जब यह अपील की कि गजनबी अपने साथ मूर्तियां ना ले जाए और उसके बदले उसे बड़ी मात्रा में सोना दी जाएगी तब गजनबी ने एक सच्चा ईमानवाला होने का परिचय दिया और कहा तारीख में मैं बुतफरोश नहीं बल्कि बुतशिकन के रूप में मशहूर होना चाहता हूं। गजनबी अपने साथ मूर्तियां ले गया और गजनी के मुख्य मस्जिद की सीढ़ियों पर लगवाने का हुक्म दिया।

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ज्ञानवापी के महंत पन्ना को क्या मालूम था कि जिस शिवलिंग के रक्षार्थ वे शिवलिंग लेकर ज्ञानवापी कूप में कूद रहे हैं, उस पर ईमानवाले सदियों वजू करेंगे। ये मजहबी क्रूरता का नग्न सत्य है जिसे आज पूरा भारत देख रहा है।

1689 में खान जहां बहादुर जब जोधपुर के मंदिरों को तबाह कर लौटा तब औरंगजेब ने आदेश दिया कि सारी मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों में लगवा दिया जाए। क्या आपको ऐसे मस्जिदों के नाम सुनकर घृणा नहीं आती? आप जब किसी मस्जिद के सामने से गुजरते हैं तब आपके मन के भाव क्या होते हैं?

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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