छत्तीसगढ़ में लोहिया की स्मृति की सार-संभाल पर विचार गोष्ठी का आयोजन
विचार गोष्ठी में गोवा मुक्ति संग्राम पर लघु फिल्म का हुआ प्रदर्शन।
Positive India:Raipur:
लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के तत्वावधान में कल स्थानीय सर्किट हाउस में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के अधिकांश लोहिया समर्थकों ने भाग लिया। गोष्ठी का विषय छत्तीसगढ़ में लोहिया की स्मृति की सार-संभाल था। विषय प्रवर्तन डा. धीरेन्द्र साव ने किया।
गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए प्रो. घनाराम साव ने गोवा आंदोलन में छत्तीसगढ़ की सहभागिता तथा जाति व्यवस्था में अभी भी पिछड़ी मानसिकता पर प्रकाश डाला तो श्रीमती सविता पाठक ने स्व. कमलनारायण शर्मा के सुझाव पर लोहिया द्वारा रायपुर गांधी चौक में घोषित दाम बांधो नीति की जन्मस्थली छत्तीसगढ़ को बताया। साथ ही उज्ज्वला योजना, महिलाओं को समानता तथा अखंड भारत इत्यादि को प्रकारांतर से लोहिया के सिद्धांतों का ही क्रियान्वयन निरूपित किया। उक्त सभी का सपना लोहिया ने देखा था। उन्होंने छत्तीसगढ़ में तब के अनेक जीवंत समाजवादी आंदोलनों का उल्लेख करते हुए लोहिया के विचारों को आज भी प्रासंगिक कहा और उनके प्रचार प्रसार का बीड़ा युवावर्ग को उठाने का आह्वान किया।
गोष्ठी में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्री बी के एस रे की भी गरिमामयी उपस्थिति रही जिन्होंने स्वयं पर जे एन यू में अपनी शिक्षा से लेकर अब तक लोहिया के प्रभाव एवं लोहिया की अति बौद्धिक एवं व्यावहारिक सोच की चर्चा की ।विषय को आगे बढ़ाते हुए पूर्व समाजवादी नेता श्री फज़ल हुसैन पाशा ने महासमुंद क्षेत्र में समाजवादी आंदोलनों का लंबा इतिहास बताते हुए कहा कि व्यवस्था ने इस पीढ़ी के हाथों मोबाइल टी वी और शराब पकड़ाकर उन्हें नाकारा और आत्म केन्द्रित बना दिया है । इसी कारण पहले जैसे समाजवादी विरोध को ग्रहण लग गया।
महासमुंद के अधिवक्ता थिटे ने युवावर्ग को जोड़ने लोहिया के समाजवादी चिंतन को स्कूल कालेज तक पहुंचाने की बात कही। तो मनोज दुबे ने उनके सिद्धांतों को साकार रूप देने की बात कही। गोष्ठी में दाऊलाल चंद्राकर, नारायण साहू, डा.पीयूषी साव एवं अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।
गोष्ठी के बीच अभिषेक जी ने गोवा मुक्ति संग्राम पर अपनी बनाई पंद्रह मिनट की बहुत उम्दा लघु फिल्म प्रदर्शित की। अभिषेक बिहार से हैं। जे एन यू से शिक्षित एवं पेशे से पत्रकार अभिषेक लोहिया के विचारों के प्रति जूनून की हद तक समर्पित हैं। उन्होंने न केवल लोहिया के संघर्ष पर फिल्म बनाई अपितु उनके संपूर्ण साहित्य का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद एवं उनका प्रसार भी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अर्से बाद पहली बार आयोजित इस बैठक के आयोजक डा.धीरेन्द्र साव थे। उनके आभार प्रदर्शन के बाद सभी सदस्य हर महीने इसी तरह की बैठक में भाग लेने का संकल्प लेकर लौटे।