भारत को ग्लोबल मेडिकल वैल्यू हब बनाने के लिए शुरू हुआ हील इन इंडिया और हील बाय इंडिया
आयुर्वेद उपचार कराने के लिए 165 देशों के साथ मेडिकल वीजा और मेडिकल अटेंडेंट वीजा का प्रावधान किया गया है।
Positive India:New Delhi:
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में ब्रांड इंडिया के निर्माण पर वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों के साथ गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत अपने सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य परितंत्र और विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं के साथ पूरी दुनिया के लिए एक आकर्षण बन गया है। उन्होंने कहा कि, ‘आज दुनिया के अलग-अलग देशों से लोग बड़ी संख्या में इलाज के लिए भारत आ रहे हैं। चिकित्सा पर्यटन को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘हील इन इंडिया'(Heal India) कार्यक्रम शुरू किया है। इसी तरह हमने ‘हील बाई इंडिया'(Heal by India) कार्यक्रम की भी शुरुआत की है। यह हमारे चिकित्सा कर्मियों को दुनिया भर में यात्रा करने और एक स्वस्थ वैश्विक समाज के निर्माण की दिशा में योगदान करने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि, “हम अपने पारंपरिक चिकित्सा उद्योग को और मजबूत करके और ‘हील इन इंडिया'(Heal India तथा ‘हील बाय इंडिया’ पहलों को बढ़ावा देकर भारत को ग्लोबल मेडिकल वैल्यू हब(Global Medical Value Hub) बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
चिकित्सा उद्देश्य के साथ पर्यटन को और मजबूत करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. मनसुख मंडाविया ने इलाज के लिए भारत आने के इच्छुक लोगों के लिए दुनिया भर में स्थित भारतीय दूतावासों में सुविधा केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, भारत में इलाज करा रहे लोगों से फीडबैक/प्रशंसापत्र प्राप्त करने के लिए एक प्रणाली स्थापित की जा सकती है। इससे हमें चिकित्सा पर्यटन को ‘ब्रांड इंडिया’ बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जो लोग विदेश से भारत में इलाज कराना चाहते हैं, उनके लिए विश्वसनीय जानकारी की सुविधा और सुगमता के लिए एक ‘वन स्टेप’ पोर्टल बनाया जा रहा है।
चिकित्सा क्षेत्र में अन्य देशों के साथ समझौते करने की आवश्यकता पर बल देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुशल नर्स उपलब्ध कराने के लिए जापान के साथ हमारा समझौता है। कुशल चिकित्सा कर्मियों के लिए अन्य देशों के साथ भी इस तरह के समझौते किए गए हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के उद्देश्य के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार की संभावनाओं का पता लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, “पिछले कुछ वर्षों में, चिकित्सा के उद्देश्य के साथ पर्यटन काफी लोकप्रिय हो रहा है और भारत अब एशिया में सबसे तेजी से बढ़ते चिकित्सा पर्यटन केंद्रों में से एक बन चुका है।”
पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया ने कहा, “भारत ने खुद को आयुष के केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित कर लिया है। हाल ही में, माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आयुष चिह्न’ लॉन्च करने की घोषणा की है। इससे भारत में आयुष उत्पादों को प्रामाणिकता हासिल होगी और पारंपरिक चिकित्सा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। आयुर्वेद उपचार के लिए दूसरे देशों से भारत आने वालों के लिए एक विशेष वीजा श्रेणी बनाई गई है। आयुर्वेद उपचार कराने के लिए 165 देशों के साथ मेडिकल वीजा और मेडिकल अटेंडेंट वीजा का प्रावधान किया गया है।
अपने संबोधन का समापन करते हुए डॉ. मनसुख मंडाविया ने मौजूद सभी लोगों से चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करने और भारत को ‘अतिथि देवो भव’ की भावना के अनुरूप एक ‘ग्लोबल मेडिकल हब’ बनाने के लिए सुझाव साझा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल चिकित्सा पर्यटन और स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को बल्कि हमारे सेवा उद्योग को भी फायदा होगा।
हाल ही में चिकित्सा पर्यटन संघ द्वारा चिकित्सा पर्यटन सूचकांक 2020-21 जारी किया गया है। इसके अनुसार, भारत वर्तमान में शीर्ष 46 देशों में 10वें स्थान पर, विश्व के शीर्ष 20 वेलनेस पर्यटन बाजारों में 12वें, और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 10 वेलनेस पर्यटन बाजारों में 5वें स्थान पर है। भारत में इलाज की लागत अमेरिका में इलाज की लागत से 65 से 90% कम है। भारत में 39 जेसीआई और 657 एनएबीएच मान्यता प्राप्त अस्पताल हैं, जो वैश्विक गुणवत्ता मानकों और बेंचमार्क के बराबर या उससे बेहतर हैं।