www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

कांग्रेस को अपने आई टी सेल में कुछ काम के लोग क्यों रखने चाहिए ?

- दयानंद पांडे द्वारा रिपोस्ट-

Ad 1

Positive India:Lucknow:
कांग्रेस को अपने आई टी सेल में कुछ काम के लोग रखने चाहिए। नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ अगर कुछ आडियो , वीडियो जारी करना ही है तो कुछ तथ्यात्मक और तार्किक चीजें बटोर कर सीधा हमला करना चाहिए। दाएं , बाएं के हवाई फ़ायर नहीं। ठोस , तथ्यात्मक और तार्किक बात करनी चाहिए। क्रिस्टल क्लियर। प्वाईंट टू प्वाईंट। कम से कम राफेल पर ही तथ्यात्मक विवरण बटोर कर सटीक हमला करना चाहिए। भ्रष्टाचार , बेरोजगारी , नोटबंदी , जी एस टी आदि जिन पर राहुल गांधी लफ्फाजी झोंक रहे हैं , उन पर तथ्यात्मक और तार्किक रिपोर्ट बनानी चाहिए। चौकीदार , चोर है जैसे हमले भाषण में प्रायोजित तालियां मिलने का सबब भले बन सकते हैं पर सामान्य जनता को उद्वेलित , उत्तेजित और कनविंस नहीं करते। हिप्पोक्रेटों को जनता सब से पहले हिट करती है , दुर्भाग्य से देश के राजनीतिज्ञ अपने चमचों के नशे में यह बात कभी नहीं जान पाते।

Gatiman Ad Inside News Ad

आज एक वीडियो देखा जिस में हिटलर की कुछ फोटुओं सहित हिटलरशाही का , तानाशाही का विवरण दिया गया है और कहा गया है कि अगर इस हिटलर से किसी और का संयोग बनता है तो हम नहीं जानते। इस वीडियो में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो कोरी कल्पना और थोथा गप्प है। जो न हिटलर से मेल खाता है , न नरेंद्र मोदी से। बोर अलग करता है । लोग इतने अनपढ़ और अज्ञानी नहीं हैं जो हिटलर और नरेंद्र मोदी के नाम से कुछ भी परोस देंगे और सती सावित्री की तरह यह कह कर किनारे हो जाएंगे कि अगर किसी और से यह संयोग मिलता है तो हम नहीं जानते। ऐसी लिबलिबी बातें किसी को हिट नहीं करतीं , बोर ज़रूर करती हैं। ठीक वैसे ही जैसे चौकीदार चोर है का उबाऊ भाषण।

Naryana Health Ad

तथ्य और तर्क से अगर राहुल गांधी महरूम हैं तो पूरी कांग्रेस तो नहीं है न। कांग्रेस में एक से एक जीनियस , अनुभवी , विद्वान , और शार्प लोग हैं । ऐसे लोगों का खुल कर सदुपयोग करना चाहिए और लिजलिजी और लिबलिब मूर्खता से हर मुमकिन बचना चाहिए। चुनाव और राजनीति बच्चों का खेल नहीं , समझदारों और कमीनों का खेल है । कौन कितना अच्छा लड़ता है , इस से किसी को कोई सरोकार नहीं। सरोकार इस बात से होता है कि कौन विजयी होता है । कुर्सी पर काबिज कौन होता है। पोरस ने बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी लेकिन लड़ाई जीती , सिकंदर ने। सोचिए कितना मशहूर लेकिन विवश मुहावरा है , जो जीता , वही सिकंदर ! कन्हैयालाल नंदन की एक कविता यहां गौरतलब है :

तुमने कहा मारो
और मैं मारने लगा
तुम चक्र सुदर्शन लिए बैठे ही रहे और मैं हारने लगा
माना कि तुम मेरे योग और क्षेम का
भरपूर वहन करोगे
लेकिन ऐसा परलोक सुधार कर मैं क्या पाऊंगा
मैं तो तुम्हारे इस बेहूदा संसार में
हारा हुआ ही कहलाऊंगा
तुम्हें नहीं मालूम
कि जब आमने सामने खड़ी कर दी जाती हैं सेनाएं
तो योग और क्षेम नापने का तराजू
सिर्फ़ एक होता है
कि कौन हुआ धराशायी
और कौन है
जिसकी पताका ऊपर फहराई
योग और क्षेम के
ये पारलौकिक कवच मुझे मत पहनाओ
अगर हिम्मत है तो खुल कर सामने आओ
और जैसे हमारी ज़िंदगी दांव पर लगी है
वैसे ही तुम भी लगाओ.

-दयानंद पांडेय द्वारा रिपोस्ट-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.