कुमार विश्वास के खुलासे के बाद क्यों बिलबिला रहे हैं केजरीवाल ?
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
विश्वास के खुलासे के बाद भी आम आदमी पार्टी तो शांत थी, जब मोदीजी ने चुनावी सभा में खालिस्तानी कनेक्शन को भुनाया तो आम आदमी पार्टी को बहुत ही बुरा लगा। राघव चड्ढा लगा मीडिया वालों को घेरने।
पर, मैं इस प्रकरण में दूसरे आयाम पर बात करना चाहता हूँ। मुझे मोदी जी पर बड़ी दया आ रही है। जिस प्रकार से उन्होंने खालिस्तानी कनेक्शन को चुनावी सभा में भुनाया, यह ठीक वैसा ही हुआ जैसे कश्मीर चुनाव में जाकर कश्मीरी अलगाववाद पर बोला जाए। जहां पूरा कश्मीरी आवाम इस्लामिक रेडिकलाइजेशन को आत्मसात करके चलता है, क्या वह अलगाववाद के मुद्दे पर कभी राष्ट्रवादी के साथ खड़ा हो सकता है?
मेरा ख्याल है ठीक वही सवाल पंजाब के सिखों के लिए भी जायज है। इस बार अगर पंजाब में भाजपा हारती है, जो कि स्वाभाविक भी है, तो पंजाब की आवाम क्या सिद्ध करना चाहती है? कोई है जो कलेजा ठोक कर कहे कि सिखों के हृदय में भिंडरावाला के लिए सिंपैथी नहीं है। खुलेआम खालिस्तान के लिए नारे लग रहे हैं, “आजादी मजबूरी है, खालिस्तान जरूरी है।” आखिर कैसे मान लूं कि पंजाब इन नारो पर राजी नहीं? क्या अकाल तख्त ने कभी विरोध किया?
इतना सब कुछ जानते हुए भी मोदी जी पंजाब में अलगाववाद को मुद्दा बनाना चाहते हैं। जबकि उन्हें पता है इस मुद्दे से आती हुई वोट भी चली जाएगी। लेकिन एक राष्ट्रवादी की मजबूरी देखिए, एक जमीर वाले की लाचारी देखिए, सत्ता ना मिले मंजूर है लेकिन देशभक्ति नहीं छोड़ सकता।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)