सर्वाइकल कैंसर में विकिरण चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका क्यों है?
Balco Medical Centre is celebrating Cancer Awareness Month.
Positive India:Raipur:
सर्वाइकल कैंसर में विकिरण चिकित्सा (रेडीएशन ट्रीटमेंट ) की महत्वपूर्ण भूमिका
जनवरी सर्वाइकल कैंसर का जागरूकता माह है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय मुख की कोशिकाओं में विकसित होता है, जिसे आम भाषा में गर्भाशय के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है। GLOBOCAN 2020 के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है, लेकिन, भारतीय महिलाओं में, यह स्तन कैंसर के बाद कैंसर का दूसरा सबसे आम रूप है। लगभग 160 मिलियन महिलाओं जिनकी उम्र 30 – 59 वर्ष हे उन महिलाओं में इसका अधिक ख़तरा हे। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाइकल कैन्सर शहरी क्षेत्रों के तुलना में अधिक हैं।
गर्भाशय ग्रीवा के 90% से अधिक कैंसर यौन संपर्क के माध्यम से प्रसारित ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी 16 और एचपीवी 18) के संक्रमण के कारण होते हैं। एचपीवी के अधिकांश संक्रमण अपने आप ठीक हो जाते हैं, हालांकि, लगातार संक्रमण से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। जिन कारणो से एचपीवी संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है वे हैं , पहले संभोग की कम उम्र, कई लोगों से यौन संपर्क, कई यौन साझेदारों वाला पुरुष साथी, अत्यधिक बार गर्भधारण और यौन संचारित रोगों (एसटीडी) का इतिहास।
आम तौर पर गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षण : मासिक धर्म के बीच या सेक्स के बाद योनि से खून बहना और दुर्गंधयुक्त योनि स्राव, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, संभोग के दौरान पेट के निचले हिस्से या पैल्विक दर्द एवम् मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) हो सकते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के ठीक होने की दर बहुत अच्छी है, यदि प्रारंभिक अवस्था में इसका पता लगाया जाए और इसका प्रभावी ढंग से इलाज़ किया जाए। प्रारंभिक अवस्था में ठीक होने की दर लगभग 90% हें। कैन्सर जब आसपास फैल जाता है ( लोकली एडवांस ) तब यही दर 60% हो जाती है। मेटास्टेटिक अवस्था ( जब कैन्सर शरीर के अन्य अंगो में फैल जाता है) में 5 साल की जीवित रहने की दर लगभग 17% है। मतलब जल्दी कैन्सर का पता लगाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि जितने जल्दी पता लगेगा ठीक होने की दर उतनी अच्छी रहेगी।
सर्वाइकल कैंसर का उपचार
• सर्जरी: कैंसरयुक्त ऊतक को सर्जरी से पूरी तरह से हटाना; यह प्रारंभिक चरण में एक प्रभावी उपचार है, यदि आवश्यकता पड़ती हे तो बाद में रेडीएशन ट्रीटमेंट दिया जा सकता है।
• कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए कैंसर रोधी दवाओं का उपयोग किया जाता है। रेडियोसेंसिटाइज़र (कीमो रेडिएशन) के रूप में रेडीएशन ट्रीटमेंट के साथ-साथ साप्ताहिक रूप से दी जाने वाली कम डोसेज़ में मुख्य रूप से उपयोगी और स्टैंडर्ड डोसेज़ में मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर में उपयोगी है।
•विकिरण चिकित्सा (रेडीएशन ट्रीटमेंट ): यह उपचार कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विकिरण ( रेडीएशन) का उपयोग करता है। यह प्रारंभिक और साथ ही स्थानीय अवस्था में सर्वाइकल कैंसर को ठीक करने के लिए एक प्रभावी उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। यह मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर में दर्द को कम करने के लिए या फिर अत्यधिक रक्त स्राव को रोकने के लिए उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। रेडीएशन ट्रीटमेंट दो तरीक़ों से दिया जाता है:
EBRT ( इक्स्टर्नल बीम रेडियोथेरपी या ईबीआरटी )
ब्रेकीथेरेपी
•EBRT ( इक्स्टर्नल बीम रेडियोथेरपी या ईबीआरटी ): यह उपचार लिनीअर ऐक्सेलरेटर या लिनेक के माध्यम से दिया जाता है इस इलाज़ में एक्स-रे का उपयोग किया जाता है और इसे शरीर के बाहर से लिनैक मशीन से दिया जाता है। उपचार दर्द रहित है और इसमें केवल कुछ मिनट लगते है। वर्तमान में, IMRT और IGRT जैसी बहुत ही उच्च-स्तरीय परिष्कृत तकनीकें उपलब्ध हैं और इन तकनीकों का उपयोग करके, हम ट्यूमर का सटीक रूप से इलाज़ कर सकते हैं और पास के सामान्य ऊतक का रेडीएशन इक्स्पोज़र को बहुत कम कर सकते हैं, जिससे साइड इफ़ेक्ट्स कम से कम होते हे।
• ब्रैकीथेरेपी: यह सर्विक्स कैंसर के उपचार का एक अभिन्न अंग है और इसे ई॰ बी॰आर॰ टी॰ के बाद दिया जाता है। इस इंट्राकेवेटरी ब्रैकीथेरेपी में बहुत हाई डोसेज़ का रेडीएशन ट्रीटमेंट इंटर्नल रेडीएशन सोर्सेज़ की सहायता से दिया जाता है योनि मार्ग के माध्यम से अस्थायी रूप से ग्रीवा क्षेत्र में रखा जाता है। ब्रैकीथेरेपी आमतौर पर हिस्टेरेक्टॉमी और कीमोरेडियोथेरेपी के बाद दी जाती है।यह एक डे-केयर प्रक्रिया है और इसमें लगभग 10-40 मिनट का उपचार समय लगता है।
डॉ. गौरव गुप्ता रेडीएशन ओंकोलोजिस्ट ने बताया कि बाल्को मेडिकल सेंटर में एक़ ही छत के नीचे आधुनिक एवम् उन्नत सर्जरी, कीमोथेरेपी , टरगेटेड थेरपी ,इम्युनोथेरपी और रेडीएशन ट्रीटमेंट (आई॰एम॰आर॰टी॰/ आई॰जी॰आर॰टी॰/ स्टेरेओटकटिक ट्रीटमेंट) एवम् ब्रेक़ीथेरपी उपलब्ध है। यदि आप या आपके किसी करीबी में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो कृपया तुरंत किसी कैंसर विशेषज्ञ से मिलें। याद रखें, 9-14 वर्ष की आयु की लड़कियों में एचपीवी टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलों को रोका जा सकता है। यह जरूरी है कि सभी माता-पिता अपनी बालिकाओं को भविष्य में होने वाले गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से रक्षा के लिए यह टीकाकरण करायें। महिलाओं को 30 साल के बाद से पैप स्मीयर कराना चाहिए, जो कि गर्भाशय ग्रीवा के के प्रीकैन्सरस घावों की पहचान करने के लिए एक बहुत ही कम लागत का प्रभावी और सरल स्क्रीनिंग टेस्ट है।