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अमर्त्य सेन पूरे देश के सामने क्यों नंगे हो गए ?

- सतीश चन्द्र मिश्रा की कलम से-

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Positive India:Satish Chandra Mishra:
अमर्त्य सेन पूरे देश के सामने तुम नंगे हो गए हो…
तुम्हारे दलाल गद्दार चरित्र से यही उम्मीद भी थी कि देश के सामने तुम खुद ही नंगे होगे, तुम्हें नंगा करने का प्रयास नहीं करना पड़ेगा…
अमर्त्य सेन तुमको शर्म नहीं आयी कि जिस देश ने तुमको भारत रत्न देकर समान्नित किया उस देश के सेनापति के आकस्मिक दुःखद निधन पर तुम्हारे मुंह से शोक और श्रद्धांजलि का एक शब्द नहीं निकला।
भारत रत्न का अपना तमगा दिखाकर हवाईजहाज के बिजनेस क्लास में मुफ्त यात्रा की सुविधा लेने की हरामखोरी तुम जिस देश में बरसों से कर रहे हो वह पूरा देश जब अपने महान सेनापति के निधन पर शोक के सागर में डूब गया, तब भी तुम मुर्दों की तरह चुप्पी साधे रहे।
तुमको आईना दिखाने के लिए यह बताना बहुत आवश्यक है कि तुम अकेले जीवित भारत रत्न नहीं हो। 8 दिसंबर की शाम 6:30 बजे देश के सेनापति जनरल रावत के निधन की घोषणा होते ही शाम 7 बजे भारत कोकिला भारत रत्न आदरणीय लता मंगेशकर जी ने लिखा कि… “CDS जनरल विपिन रावत जी, उनकी धर्मपत्नी एवं सेना के ११ अन्य अफ़सरों के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन की खबर अत्यंत वेदनादायी है. इससे हमारे देश की बहुत बड़ी हानी हुई है. मैं भारतमाता के इन वीर सपूतों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली अर्पण करती हूँ. मैं इनके परिवार के दुख में शामिल हूँ.” शाम 7:23 बजे देश के सेनापति को कुछ ऐसी ही भावभीनी श्रद्धांजलि सचिन तेंदुलकर ने भी दी।
अमर्त्य सेन तुमको याद दिलाना जरूरी है कि लता जी और सचिन तेंदुलकर को भी देश ने भारत रत्न देकर सम्मानित किया है। देश नहीं पूरी दुनिया में दोनों की जो और जैसी ख्याति है, उसके समक्ष तुम्हारी औकात किसी भिखारी से भी बदतर है। याद यह भी दिला दूं कि यह दोनों जीवित रत्न तुम्हारी तरह हरामखोर, मुफ्तखोर नहीं हैं। भारतरत्न प्राप्त विभूतियों को मिलने वाली हवाईजहाज के बहुत महंगे बिजनेस क्लास की मुफ्त यात्रा की सुविधा का उपयोग इन दोनों जीवित भारतरत्नों ने आजतक नहीं किया है। जबकि तुम अभूतपूर्व निर्लज्जता के साथ उस सुविधा का उपयोग जमकर करते हो।
3000 करोड़ के बजट में प्राचीन ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के नाम पर 20 कमरे बनवाकर 15 छात्र, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी समेत 5 शिक्षकों की भर्ती कर के 5 लाख रुपये महीने की तनख्वाह वाले कुलपति के रूप में कांग्रेसी खैरात तुम विदेश में रहते हुए 9 साल तक (07 से 16 तक) लेते रहे। ऐसी धूर्तता, जालसाजी सरीखा कोई कलंक भी इन दोनों जीवित भारतरत्नों से सदा कोसों दूर रहा है।
आज तुमको यह आईना इसलिए दिखाना जरूरी है क्योंकि तुम केवल अर्थशास्त्री का जीवन नहीं जीते हो। तुम्हारे अर्थशास्त्र के ज्ञान से भारत का क्या भला तुमने किया है। यह शायद तुमको स्वयं पता नहीं होगा। लेकिन तुमको मोदी का प्रधानमंत्री बनना पसंद नहीं, प्रधानमंत्री बनने से मोदी को रोका जाए। यह ढपली तुम 2013 से बजा रहे हो।
यह ज़हर तुम लगातार उगलते हो कि… देश की मोदी सरकार पागल (मनोरोगी) है। मोदी तानाशाह है। 370 हटाए जाने पर भी तुम शर्मिंदा हुए थे। यासीन मलिक, गिलानी सरीखे आतंकी सरगनाओं की गिरफ्तारी से भी तुम सहमत नहीं हुए थे। तुम चाहते हो कि CAA कानून रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि तुम्हारे हिसाब से वो असंवैधानिक है। एक अर्थशास्त्री का इन विषयों से क्या और कितना लेनादेना क्यों है.? और अगर है तो फिर पूरे देश को हिलाकर रख देने वाली, सेनापति की दुःखद मृत्यु से उसका लेनादेना क्यों नहीं है.?
अमर्त्य सेन तुम दरअसल अर्थशास्त्री की नकाब में मंडरा रहे वह गद्दार हो जिसे 370 हटाने की कार्रवाई आपत्तिजनक लगती है। यासीन मलिक, गिलानी की गिरफ्तारी तुम्हे अच्छी नहीं लगती। तुम देश के वो राजनीतिक दलाल हो जिसे देश का प्रधानमंत्री मोदी तानाशाह लगता है। देश की सरकार मनोरोगी (पागल) लगती है। नोटबंदी का निर्णय तुमको निरंकुश और दिशाहीन मिसाईल लगता है।
अंत में बस इतना कहूंगा कि तुम भारतरत्न की फोटोकॉपी दिए जाने योग्य नहीं हो। दअरसल तुम अटल सरकार में हुआ वह पाप (तुमको भारतरत्न देने का) हो जिसे यादकर के अटल जी की आत्मा आज भी जार जार रोती होगी।

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साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार है)

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