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हिंदुत्व को मजबूत करना केवल हिंदु के भले का विचार क्यो नही?

-अमिताभ राजी की कलम से-

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Positive India:Amitabh Raji:
अभी कुछ साल पहले मेरठ के #कबाड़ी_बाजार में #मुगलों या #अंग्रेजों के समय से चले आ रहे #जिस्मफरोशी के धन्दे पर बैन लगा दिया गया था, और कल मेरठ के एक ऐसे कबाड़ी बाजार(सोतीगंज) को अनिश्चित काल के लिए बन्द करा दिया गया है जिसमें देश के किसी भी हिस्से से चोरी की गई गाड़ियों को पांच मिनट में पुर्जा-पुर्जा अलग करके ठिकाने लगा दिया जाता था….

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जाने कब से ये दोनों धंधे दो बड़े अपराधों को लगातार सुविधा मुहैय्या कराते चले आ रहे थे, बाजार में माल होगा तो खरीदार तो आएंगे ही, फिर वो माल व्यक्ति की नैतिक आवश्यकता का हो या अनैतिक आवश्यकताओं का, क्या फर्क पड़ता है ?

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जहाँ एक ओर देश के किसी भी हिस्से से महंगी लग्जरी गाड़ी चुरा कर मेरठ में बडी़ आसानी से खपा दी जाती थी, वहीं दूसरी ओर देश-विदेश से गरीब और मजबूर लड़कियों को नोकरी का झांसा देकर जिस्मफरोशी के घृणित दलदल में जबरन उतार दिया जाता था…..

वर्षों से सत्ताओं पर काबिज़ नेताओं को अपने घर भरने और अपने बच्चों को राजनीति में सेट करने से फुर्सत नहीं थी कि कम से कम ऐसे बाजारों पर तो रोक लगाओ जिनके कारण से महिलाओं और छोटी-छोटी बच्चियों को जीते-जी नर्क भोगना पड रहा हो….

समय लगा लेकिन सबकी समस्याओं का समाधान खोजने वाला व्यक्ति आखिरकार देश का प्रधानमंत्री बना है, उसने महिला को हिंदु या मुसलमान के चश्मे से नहीं देखा, घर से बाहर अंधेरे में शौच के लिए जाती महिलाओं की पीड़ा उसे समझ आई तो दूसरी ओर तलाक-ए-बिद्दत (बगैर गैप के तीन तलाक) का दंश झेल रही महिलाओं के दर्द ने भी उसे द्रवित कर दिया….

वो उस संस्कृति से गहरे तक जुडा है जहाँ सिर्फ़ अपनी, अपने बच्चों की या फिर अपने पंथ और जाति की ही फिक्र करना नहीं सिखाया जाता बल्कि समूचे विश्व को एक कुटुम्ब मानकर ही व्यक्ति की जीवन-शैली तय की जाती है, जिन अल्प-बुद्धि जीवों को उसके द्वारा प्राचीन मन्दिरों का पुनरुद्धार केवल हिंदु-मुस्लिम की राजनीति दिखाई दे रही है, उनका बौद्धिक स्तर उस राहुल गांधी से अधिक नहीं है जो कहता है कि #हिंदु और #हिंदुत्व दो विरोधी बातें हैं, जैसे गांधी हिंदु थे और गोडसे हिंदुत्व की पहचान….

इन पप्पुओं को कोई बताए कि जिस तरह #पुरुषत्व के बगैर #पुरुष नपुंसक माना जाता है, उसी तरहा हिंदुत्व के विचारों से विहीन हिंदु भी परिवार के लिए टोंटी तो चुरा सकता है लेकिन देश या समाज के लिए हितकारी नहीं हो सकता…..

हिंदुत्वादी लोग हथियार भी बनाते हैं तो उसका नाम #पिनाक जैसा रखते हैं जो त्रिपुरासुर जैसे राक्षसों का वध करता है, पाकिस्तान की तरहा #गोरी और #गजनवी नहीं, जो कि दूसरे संप्रदाय का विनाश के लिए जाने जाते हैं….

इसलिए अगर सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर चलना है तो मंदिरों को उनके पुराने वैभवशाली स्वरूपों में लाना होगा, सर्वेभवन्तु सुखिनः की आवाजें वहीं से निकलती हैं इस पूरी दुनियाँ में, राहुल और अखिलेश जैसे हिंदु इस देश की सबसे बड़ी समस्या हैं जो नाम के हिंदु हैं काम उनके हमेशा हिंदु विरोधी ही रहे हैं, इन मूर्खों को और इनके कम बुद्धि के अनुयायियों को इस बात का जरा भी अहसास नहीं कि हिंदुत्व को मजबूत करना केवल हिंदु के भले का विचार नहीं बल्कि सबके भले का सूत्र केवल इसी में नीहित है, मूर्ख हिंदु दलालों के झांसे में न आकर हिंदुत्व के रक्षकों के साथ खड़े होकर उन्हें मजबूती प्रदान करें….

साभार:अमिताभ राजी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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