भारत की तरक्की से श्वान वृत्ति और प्रवृत्ति वालों की तकलीफ़ क्यों बढ़ती ही जा रही है?
-दयानंद पांडेय की कलम से-
Positive India:Dayanand Pandey:
श्वान वृत्ति के कुछ लोगों की राय है कि 2014 से देश पतन की राह पर चल पड़ा है। अर्थव्यवस्था में आग लगा दी गई है। तिस पर देश ने आज पतन की तरफ एक और क़दम बढ़ा दिया। 100 करोड़ रुपए की लागत से मध्य प्रदेश में रानी कमलापति नाम से एक स्टेशन बना कर उद्घाटन कर दिया। बताइए कि पेट्रोल , डीजल के दाम में आग इतनी लग गई है कि महाराष्ट्र में हिंसा , आगजनी ,दंगा आदि करना मंहगा पड़ रहा है। 80 करोड़ लोगों को मुफ़्त राशन भी इस नवंबर महीने देना बंद कर देंगे। तिस पर एक अरब रुपया खर्च कर स्टेशन बना दे रहे हैं। यह भी कोई बात है भला।
हबीबगंज को रानी कमलापति कर दे रहे हैं। अति कर दी है। हबीबगंज को रानी कमलापति कर दिया। एक पूर्व शासक के प्रतीक का नाम हटा कर औरत का नाम लगा दिया स्टेशन पर। वह औरत जो उन की किताब के मुताबिक़ खेती हैं। शासक रहे लोगों की आत्मा पर सांप लिटा दिया। स्टेशन को एयरपोर्ट की तरह का बनाए दे रहे हैं। ग़रीब जनता कैसे घुसेगी इस स्टेशन में भला। इस सब से श्वान वृत्ति और प्रवृत्ति वालों की तकलीफ़ है कि बढ़ती ही जा रही है। तक़रीबन दिल्ली और एन सी आर के वायु और जल प्रदूषण वाला आलम है।
एक्सप्रेस वे क्या कम पड़ रहे थे। जेवर जैसा एयरपोर्ट भी बनाने की बात कर रहे हैं। क्या तो एशिया का सब से बड़ा एयरपोर्ट होगा। बुलेट ट्रेन की आग अलग लगाए हुए हैं। दिल्ली से बनारस चार घंटे में। लखनऊ दो घंटे में। तो भइया एयरपोर्ट वाले जहाज मर न जाएंगे। बुलेट ट्रेन और जहाज एक साथ जेवर से चलाने की ज़रुरत क्या है। देश को इस तरह तो पतन क्या पाताल में डाल देंगे। श्वान लोगों को कब तक इस तरह डसते रहेंगे। इल्तिज़ा है सरकार से कि इस तरह श्वान लोगों को शहद न परोसे। शहद चाट कर श्वान लोग मर-मर जाते हैं। यह तो आयुर्वेद भी कहता है। श्वान एकता ज़िंदाबाद ! हम ऐसा अब और न होने देंगे।
साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार हैं)