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क्या है ब्लेज़र जो सूर्य की चमक से 1 खरब गुणा से अधिक चमकदार है ?

पृथ्वी से 3.5 अरब प्रकाश-वर्ष दूर ब्लेज़र भौतिकी विज्ञान की बेहतर समझ प्रदान करता है ।

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Positive India:New Delhi:
वैज्ञानिक पृथ्वी से 3.5 बिलियन प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित एक ब्लेज़र पर नजर रखे हुए है जो सूर्य की चमक से 1 खरब गुणा से अधिक समय तक अपने अर्ध-आवधिक ऑप्टिकल विस्फोटों के साथ विद्यमान है। लगभग 120 वर्ष पहले इसकी प्रवाह स्थिति में अचानक जो बढ़ोतरी हुई थी उसका पता लगा लिया है। ऑप्टिकल चमक के स्रोत के साथ जिन्हें पहले बाइनरी सुपरमैसिव ब्लैक होल समझा जाता था उनके बारे में यह अध्ययन से पता चला है कि यह स्रोत कहीं अधिक जटिल है। इस अध्ययन ब्लेज़रों और ऑप्टिकल चमक के स्रोत को शक्ति प्रदान करने वाले भौतिक विज्ञान की बेहतर समझ उपलब्ध कराएगा।

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ब्लेज़र्स ब्रह्मांड के सबसे चमकीले स्रोतों में से एक है और इन वस्तुओं की विशेष श्रेणी को बीएल लाक्स कहा जाता है, जो उत्सर्जन में तेजी और बड़ी परिवर्तनशीलता दिखाते हैं। ओजे287 नामक एक ब्लेज़र, केंद्रीय सुपरमैसिव ब्लैक होल है सबसे बड़ा ज्ञात ब्लैक होल है, जो इसी वर्ग से संबंधित है। हालांकि, इसकी ऑप्टिकल चमक विशिष्ट और बीएल लाक्स से अलग है। इसे एक बाइनरी ब्लैक होल सिस्टम के रूप में प्रस्तावित किया गया था, जहां केन्द्रीय ब्लैक के चारों ओर एक सुपरमैसिव ब्लैक होल लगभग 12 वर्षों (एक सदी-लंबी ऑप्टिकल निगरानी के परिणामस्वरूप) की कक्षीय अवधि के साथ केंद्रीय ब्लैक होल के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है। इस ऑप्टिकल चमक का अंतर्निहित भौतिक तंत्र मुख्य रूप से इसकी अप्रत्याशितता और विशाल चमक के कारण लंबे समय से एक पहेली बना हुआ है।

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ओजे287 के बारे में विगत में किए गए अध्ययनों द्वारा इस स्रोत के लिए एक बाइनरी ब्लैक होल मॉडल को प्राथमिकता दी गई है लेकिन अप्रैल-मई, 2020 में एक चमक देखी गई, जिसकी भविष्यवाणी बाइनरी ब्लैक होल परिदृश्य के तहत नहीं की गई थी, जो यह सुझाव देती है कि इस स्रोत में अन्य भौतिक घटनाएं शामिल हैं जो चमकीली एक्स-रे और ऑप्टिकल चमक का कारण बन रही हैं जिनका पता लगाए जाने की जरूरत है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, रमन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के एक समूह ने तेजपुर विश्वविद्यालय की रुकैय्या खातून, पोलैंड के सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र के प्रो. बोजेना ज़ेर्नी और साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर इंस्टीट्यूट के डॉ. प्रतीक मजूमदार ब्लेज़र ओजे287 का अध्ययन कर रहे हैं, जिन्होंने एक्स-रे में देखी गई दूसरी सबसे चमकीली चमक का अध्ययन किया। अप्रैल-मई, 2020 में इसकी चमकीली और गैर-चमकीली स्थितियों के दौरान उन्होंने एक्स-रे स्पेक्ट्रम के व्यवहार में बहुत दिलचस्प बात का पता चला है। इस टीम में राज प्रिंस, गायत्री रमन और वरुण शामिल थे जो रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के पीएच.डी. पास छात्र थे। इनके साथ रमन अनुसंधान संस्थान में पोस्टडॉक्टोरल फेलो कर रही अदिति अग्रवाल और इसी संस्थान की फैकल्टी सदस्य नयनतारा गुप्ता शामिल थी। जिन्होंने यह पता लगाया कि एक्स-रे और ऑप्टिकल-यूवी में महत्वपूर्ण स्पेक्ट्रम परिवर्तन हुआ है जो यह सुझाव देता है कि ब्लेज़र ओजे287 का जटिल स्वरूप है।

इनमें एस्ट्रोसैट द्वारा रिकॉर्ड किए गए पर्यवेक्षणीय संबंधी डेटा शामिल थे, पहले समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन का उद्देश्य एक्स-रे, ऑप्टिकल और यूवी स्पेक्ट्रल बैंड में खगोलीय स्रोतों का एक साथ अध्ययन करना था, साथ ही दुनिया भर के स्विफ्ट- एक्सआरटी/यूवीओटी, नूस्टार जैसे अन्य डिटेक्टरों से सार्वजनिक रूप से प्राप्त किए गए उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग इस स्रोत के टेम्पोरल के साथ-साथ स्पेक्ट्रम व्यवहार का पता लगाने के लिए किया गया था।

उन्होंने यह पता लगाया कि ऑप्टिकल-यूवी और एक्स-रे स्पेक्ट्रम में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है, जो चुंबकीय क्षेत्र में बहुत अधिक ऊर्जावान इलेक्ट्रॉनों से रेडिएशन के शिखर स्थल में परिवर्तन या उच्च ऊर्जा की ओर से सिंक्रोट्रॉन उत्सर्जन के शिखर की ओर ले जाता है। जिसके परिणामस्वरूप ब्लेज़र ओजे287, जिसे कम ऊर्जा पर चरम ऊर्जा प्रवाह के साथ बीएल लाक्स तरह की वस्तु के रूप में जाना जाता है, जिसने उच्च ऊर्जा पर एक शिखर को दिखलाया है।

“मंथली नोटिस ऑफ दा रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (एमएनआरएएस)” में प्रकाशित ब्लैजर ओजे287 के टेम्पोरल और स्पेक्ट्रम गुण यह दर्शाते है कि स्पेक्ट्रम गुणधर्म में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है क्योंकि स्रोत कम फलक्स से उच्च फलक्स अवस्था तक यात्रा करता है। पर्यवेक्षणीय डेटा की मॉडलिंग यह सुझाव देती है कि चमक की स्थिति के दौरान जेट चुंबकीय क्षेत्र (जेट जैसे उत्सर्जन क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र) में वृद्धि हुई है।

ब्लेज़र में बाइनरी ब्लैक होल सिस्टम और उनका अध्ययन ब्रह्मांड के शुरू में आकाशगंगा में विलय के सिद्धांत को स्थापित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप एक बाइनरी ब्लैक होल सिस्टम पैदा हुआ है। इस प्रकार आंशिक रूप से पोलिश फंडिंग एजेंसी, नेशनल साइंस सेंटर द्वारा समर्थित यह अध्ययन ब्लेज़र ओजे287 की बेहतर समझ प्रदान कर सकता है।

अधिक जानकारी के लिए नायनतारा गुप्ता (nayan@rri.res.in) और राज प्रिंस (rajprince59.bhu@gmail.com) पर संपर्क किया जा सकता है।.

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