दैनिक भास्कर तथा भारत समाचार पर आयकर विभाग की रेड का विश्लेषण
झूठ के दुकानदार, सुपारी पत्रकारों के बेशर्म झूठ का शर्मनाक सच सबूतों के साथ।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
झूठ के दुकानदार, सुपारी पत्रकारों के बेशर्म झूठ का शर्मनाक सच सबूतों के साथ।
भारत समाचार नाम के उत्तरप्रदेश के एक क्षेत्रीय न्यूजचैनल पर आयकर विभाग के छापों की कार्रवाई आज सवेरे शुरू हुई और अभी चल रही है। इस कार्रवाई के प्रारम्भ होते ही यह हुड़दंग शुरू हो गया है कि सच की आवाज दबाने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। इन आयकर छापों का सच आज देर रात या कल तक सामने आ ही जाएगा। इसलिए उस पर कोई टिप्पणी अभी नहीं करूंगा। लेकिन निश्चिंत रहिए कि अगले 12 से 36 घंटों के मध्य जो शर्मनाक सच सामने आएगा वह चौंकाने वाला होगा।
फिलहाल इन छापों को “सच को दबाने” की कार्रवाई करार देकर जो हुड़दंग और हंगामा लखनऊ जयपुर से दिल्ली तक हो रहा है उस हुड़दंग पर लिखना बहुत जरूरी है।
दैनिक भास्कर से पहले बात भारत समाचार की क्योंकि बात उत्तरप्रदेश की राजधानी उस लखनऊ से संबंधित है जिसकी पत्रकारिता की दुनिया को दो दशकों तक बहुत करीब से देखा है।
आज सवेरे से यह चैनल चीख रहा है, चिल्ला रहा है कि हम “सच” बोलते हैं, “सच” बताते हैं। “सच” की पत्रकारिता करते हैं। लेकिन सरकार को “सच” रास नहीं आ रहा, हजम नहीं हो रहा इसलिए सरकार “सच” का गला घोंटने के लिए हमारे विरुद्ध छापे की कार्रवाई कर रही है।
इस न्यूजचैनल पर आज पड़े आयकर विभाग के छापों के खिलाफ पुण्यप्रसून वाजपेयी, रविशकुमार, अजीत अंजुम , आशुतोष, आरफा खानम समेत लुटियन मीडिया के तमाम जग कुख्यात चेहरे सोशलमीडिया में हुड़दंग कर रहे हैं। यह वही चेहरे हैं जो आज से केवल 8-9 महीने पहले ही अरनब गोस्वामी, उसकी पत्नी, उसके बच्चे तथा उसके वृद्ध पिता पर ढाए गए महाराष्ट्र सरकार के राक्षसी कहर के खिलाफ बोलने के बजाए उस कहर के समर्थन में खुशी से झूम रहे थे, नाच रहे थे। महाराष्ट्र सरकार के उस पैशाचिक आचरण के बजाए अरनब गोस्वामी को ही कोस रहे थे गरिया रहे थे। पत्रकारिता के सिद्धांतों, पत्रकारिता की मर्यादाओं परंपराओं को नष्ट करने का आरोप अरनब पर लगा रहे थे। लेकिन केवल 6 महीने में ही सुप्रीम कोर्ट में अरनब के खिलाफ लगे आरोपों की धज्जियां उड़ गईं थीं। अरनब के विरुद्ध महाराष्ट्र सरकार के पैशाचिक पापों का घड़ा सुप्रीमकोर्ट में फूट गया था। परिणामस्वरूप न्यायालय के उन फैसलों से पत्रकार की नकाब पहन कर नाच रहे उन सभी लुटियन दलालों, ढोंगियों, पाखंडियों का मुंह काला हो गया था। उनका धूर्त दलाल मक्कार चरित्र, चेहरा देश और दुनिया के समक्ष उजागर हो गया था।
भारत समाचार पर छापे की कार्रवाई समाप्त होने के पश्चात जो सच जब सामने आएगा उस पर चर्चा तब होगी। लेकिन यह भारत समाचार “सच” बोलने कहने लिखने का कितना बड़ा झंडाबरदार/ठेकेदार है। इसे केवल एक तथ्य से समझिए कि केवल 5 वर्ष पहले तक इसका मालिक बृजेश मिश्र Etv में 40-50 हजार रूपए महीने की नौकरी करता था। लेकिन उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के ठीक पहले दसियों करोड़ रूपये की लागत वाले सैटेलाइट चैनल का मालिक बन कर प्रकट हुआ था। उल्लेख आवश्यक है कि इसकी तुलना अरनब गोस्वामी के रिपब्लिक चैनल से नहीं की जा सकती क्योंकि यह सर्वज्ञात तथ्य है कि टाइम्स नाऊ के एडिटर इन चीफ के रूप में अरनब गोस्वामी का पैकेज लगभग 50 लाख रूपये महीने का था। अर्थात अरनब गोस्वामी का एक महीने का वेतन बृजेश मिश्र के दस वर्ष के वेतन के बराबर था। दस वर्ष तक नौकरी करने के बाद अरनब ने अगर एक चर्चित उद्योगपति के साथ साझीदारी कर के 30-35 करोड़ की लागत वाला रिपब्लिक चैनल खोला था तो वह कोई चौंकाने वाला तथ्य नहीं था। लेकिन 40-50 हजार रुपए महीने की तनख्वाह वाला बृजेश मिश्र अचानक जब करोड़ों की लागत वाले सैटेलाइट न्यूजचैनल का मालिक बन जाता है तो सवाल उठेंगे। यह जादू कैसे हुआ था.? इस “सच” से लखनऊ का पत्रकार जगत बहुत अच्छे से परिचित भी है।
बृजेश मिश्र की उस जादुई सफलता, पत्रकारिता का एक घातक हथियार मोदी-योगी सरकार के खिलाफ सरासर सफेद झूठ का उसका मीडिया जिहाद किस प्रकार बना हुआ था। इसे केवल इस एक उदाहरण से जान समझ लीजिए।
ध्यान रहे कि देश में नवंबर 2017 में पेट्रोल पंपों की कुल संख्या 60799 थी। इनमें से 55325 (91%) पेट्रोल पंप सरकार की पेट्रोलियम कम्पनियों के थे। लेकिन सितंबर 2017 में यही बृजेश मिश्र अपने न्यूजचैनल पर बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार के यूपी ब्यूरोचीफ को आर्थिक मामलों का बहुत बड़ा जानकार बनाकर बैठाए था। आर्थिक मामलों का वह तथाकथित जानकार यह कहकर उत्तरप्रदेश और देश की आंखों में धूल झोंक रहा था कि मोदी सरकार ने देश में 2014 के बाद एक भी नया पेट्रोल पम्प नहीं खोला है क्योंकि वो देश की दो बड़ी निजी कंपनियों के देश में बन्द पड़े 2 लाख 80 हज़ार निजी पेट्रोल पम्पों को खुलवाना चाह रही है और अबतक इनमें से 2 लाख 15 हज़ार निजी पेट्रोल पम्प खुलवा भी चुकी है। उस बहस में एडिटर इन चीफ का तमगा टांग कर बैठा बृजेश मिश्र आर्थिक मामलों के उस तथाकथित जानकार के उस शर्मनाक भयानक सफेद झूठ को रोकने टोकने के बजाए प्रचण्ड भक्ति भाव से सुनता रहा था। अपने न्यूजचैनल से उस सरासर सफेद झूठ का जहर फैलाता रहा था। यह कुकर्म केवल मोदी सरकार पर कीचड़ उछालने के लिए ही किया जा रहा था। बृजेश मिश्र अपने न्यूजचैनल के जरिए इसी तरह के प्रायोजित धूर्तों से मोदी योगी सरकार के खिलाफ झूठ का जहर फैलाने का शर्मनाक गोरखधंधा लगातार करता रहता है। पत्रकारिता को कलंकित करने वाली सुपारी पत्रकारिता के ऐसे अनेकानेक शर्मनाक उदाहरण इस बृजेश मिश्र और उसके न्यूजचैनल के साथ जुड़े हुए हैं।
आज पड़े आयकर छापे का सच तो कल परसों तक सामने आ ही जाएगा। लेकिन एक सच आप आज ही जान लीजिए कि “सच” बोलने कहने लिखने वाली पत्रकारिता करने का बृजेश मिश्र का दावा सरासर सफेद झूठ के सिवाय कुछ नहीं है।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)