रॉफेल का कांग्रेसी भूत फिर सवार हुआ लुटियन नस्ल की मीडियाई कठपुतलियों पर
पत्रकारिता के सिद्धांतों की हत्या और सच के साथ जघन्य बलात्कार करने वाले बलात्कारियों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
पत्रकारिता के सिद्धांतों की हत्या करने वाले इन हत्यारों और सच के साथ जघन्य बलात्कार करने वाले इन बलात्कारियों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा…
पिछले 7 वर्षों से लुटियन गिरोह द्वारा लगातार की जा रही पत्रकारिता के सिद्धांतों की हत्या और सच के साथ लगातार किए जा रहे बर्बर बलात्कारों के घृणित उदाहरणों की श्रृंखला का ही एक और शर्मनाक उदाहरण कल देखने को मिला है। इटली वाली की मीडियाई कठपुतलियां एक बार फिर सक्रिय हो गईं हैं। रॉफेल का कांग्रेसी भूत उनके सिर पर सवार हो गया है। लुटियन नस्ल की इन मीडियाई कठपुतलियों ने कल से यह हुड़दंग शुरू किया है कि फ्रांस के एक मजिस्ट्रेट ने रॉफेल डील में भ्रष्टाचार की जांच के आदेश दिए हैं और जांच के लिए एक जज की नियुक्ति की है।
लेकिन क्या यही सच है.? क्या यह खबर बस इतनी ही है.? क्या राफेल सौदे की जांच का कोई आदेश दिया गया है.? क्या रॉफेल की कीमतों को लेकर किसी जांच का कोई आदेश दिया गया है.? क्या रॉफेल सौदे से संबंधित कोई नया तथ्य, नया साक्ष्य सामने आने के बाद मजिस्ट्रेट ने रॉफेल सौदे की जांच का आदेश दिया गया है.?
उपरोक्त सारे सवालों का एक ही जवाब है, नहीं… नहीं… नहीं… ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
सच यह है कि प्रसार और प्रतिष्ठा में फ्रांस में 18वें क्रम वाले एक कट्टर चीन समर्थक स्वघोषित वामपंथी समाचार माध्यम (मीडिया पार्ट न्यूजपोर्टल) पर कुछ वर्ष पूर्व फ्रांस के भूतपूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का सन्दर्भ देकर एक खबर छपी थी। उस खबर के अनुसार रॉफेल बनाने वाली कंपनी दसां ने तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के दबाव में अनिल अंबानी को भारत में ऑफसेट का कार्य सौंपा था। मीडिया पार्ट वेबसाइट ने फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से यह भी छाप दिया था कि उन्होंने भारत सरकार के दबाव में ऐसा किया था
इसी खबर को लेकर कांग्रेस ने प्रचण्ड ताण्डव शुरू कर दिया था। लेकिन कुछ ही घण्टों में फ्रांस की सरकार, भूतपूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद, दसां कम्पनी तथा भारत की सरकार, भारत की रक्षामंत्री, भारत के वित्तमंत्री और भारत के कानून मंत्री ने तथ्यों और दस्तावेजों से उसे नकार दिया। जवाब में वह न्यूज पोर्टल और कांग्रेस पार्टी सबूत के नाम पर किसी प्रकार का कोई सबूत, कोई एक चिट आज तक नहीं प्रस्तुत कर सकें हैं। लेकिन उस खबर को लेकर फ्रांस का एक वामपंथी NGO शेरपा मुकदमेबाजी पर उतारू हो गया। उस मुकदमे के फलस्वरूप फ्रांस की एक निचली अदालत के मजिस्ट्रेट ने मीडिया पार्ट वेबसाइट की खबर में लगाए गए आरोप की जांच के आदेश कल दे दिए। ध्यान रहे कि उस आदेश में रॉफेल डील की किसी प्रकार की कोई जांच का आदेश नहीं दिया गया है। वह जांच अनिल अंबानी को मिले ऑफसेट के काम की होनी है कि उसे यह काम व्यवसायिक प्रक्रिया के तहत मिला है या फ्रांस्वा ओलांद की सिफारिश पर मिला है। उल्लेख आवश्यक है कि फ्रांस में इस बात को लेकर 2015 में हुड़दंग इसलिए हुआ था क्योंकि राष्ट्रपति ओलांद की एक रखैल/गर्लफ्रैंड के एक फ़िल्म प्रोजेक्ट के लिए अनिल अंबानी ने सम्भवतः 2.5 मिलियन डॉलर की मदद की थी। उसी बात को लेकर ओलांद का राजनीतिक विरोधी खेमा यह आरोप लगाने लगा था कि अपनी रखैल के कहने पर ही ओलांद ने अनिल अंबानी को ऑफसेट का कार्य दिलवाया है।
यह तो है वह पृष्ठभूमि जिसके कारण मजिस्ट्रेट ने कल उपरोक्त आरोप की जांच का आदेश दिया है।
अब यह भी जानिए कि राफेल विमान बनाने वाली कम्पनी दसां के CEO एरिक ट्रेपियर द्वारा 13 अक्टूबर 2018 में इकोनॉमिक टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि रिलायंस को दिया गया ऑफसेट का ठेका ही केवल 850 करोड़ रूपये का है। इसमें भी 49% हिस्सेदारी हमारी है। रिलायंस को हमने केवल 425 करोड़ रूपये का ठेका ही दिया है। इंटरव्यू में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि उनकी कम्पनी दसां ने भारत में ऑफसेट सेवाओं के तहत काम कराने के लिए भारत की 72 कम्पनियों को सूचीबद्ध किया है। उन 72 कम्पनियों में से एक प्रमुख कम्पनी अनिल अम्बानी की रिलायंस भी है।
अतः यह जान समझ लीजिए कि सच केवल यह है कि फ्रांस की एक अदालत द्वारा रॉफेल सौदे की जांच का कोई आदेश नहीं दिया गया है। जो भी जांच होनी है वो अनिल अंबानी को मिले 450 करोड़ के ऑफसेट ठेके की होनीं है।
लेकिन हमसे आपसे पूरे देश से उपरोक्त पूरा सच बताने के बजाए इटली वाली की लुटियन नस्ल वाली मीडियाई कठपुतलियां कल से यह हुड़दंग कर रहीं हैं कि फ्रांस की अदालत ने राफेल डील की जांच के आदेश दे दिए हैं।
पत्रकारिता के सिद्धांतों की हत्या करने वाले इन हत्यारों और सच के साथ जघन्य बलात्कार करने वाले इन बलात्कारियों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा…
साभार:सतीश चन्द्र मिश्रा-ये लेखक के अपने विचार है।