हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम
अगले 60 दिन मॉस्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का कड़ाई से पालन करिये और करवाइए।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम…
केवल दो ढाई महीने का धैर्य और रखिये, संयम बरतिए और निश्चिंत रहिये क्योंकि चौकीदार रात दिन जाग रहा है जूझ रहा है।
विपक्षी धूर्तों और न्यूजचैनली विदूषकों द्वारा फैलाए जा रहे भय और भ्रम से सावधान रहिये। अगले 60 दिन मॉस्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का कड़ाई से पालन करिये और करवाइए। कोरोना से जंग के केवल अंतिम दो ढाई माह और शेष रह गए हैं। अतः अब कोई भी भूल या चूक, किनारे पर किश्ती के डूबने की कहावत को चरितार्थ करेगी। क्योंकि जुलाई तक भारत में बहुत भारी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होने लगेगी। इसे इन तथ्यों से समझिये।
देश की जायड्स कैडिला कम्पनी की वैक्सीन मई के तृतीय या अंतिम सप्ताह में बाजार में उपलब्ध होने की प्रबल संभावनाएं हैं। इसकीं उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 10 करोड़ वैक्सीन की है।
भारतीय कम्पनी बायोलॉजिकल ई अमेरिका की जॉन्सन एंड जॉनसन के लिए इस वर्ष के अंत तक 66 करोड़ खुराकें तैयार करने जा रही है। सम्भवतः अगले दो माह में यह वैक्सीन भी बाजार में आ चुकी होगी। इसमें से भारत को लगभग 28 करोड़ खुराकें मिलेंगी। लेकिन ये सिंगिल डोज वैक्सीन है इसलिए इसकीं 28 करोड़ खुराकें वर्तमान में प्रचलित वैक्सीन की 56 करोड़ खुराकों के बराबर होंगी।
रूस की स्पूतनिक V वैक्सीन को इसी अप्रैल महीने के तीसरे या अंतिम सप्ताह तक मंजूरी मिल जाएगी।
स्पूतनिक वैक्सीन की 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करने के लिए एक समझौता हैदराबाद स्थित विरचो बायोटेक ने किया है. इसमें से भारत को वैक्सीन की 8.5 करोड़ (42.5%) खुराकें मिलेगी।
उपरोक्त के अलावा स्पूतनिक वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकें हेट्रो बायोफार्मा ने, 25 करोड़ खुराकें ग्लैंड फार्मा ने, 20 करोड़ खुराकें स्टेलिस फार्मा ने तथा 10 करोड़ खुराकें डॉक्टर रेड्डी लैब ने तैयार करने का अनुबंध किया है। इन 65 करोड़ खुराकों में से भी लगभग 27.5-करोड़ खुराकें भारत को मिलेंगी। अतः इस वर्ष केवल स्पूतनिक की ही 36 करोड़ खुराकें भारत में उपलब्ध होंगी।
अमेरिकी कम्पनी नोवावैक्स के लिए पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रतिवर्ष 2 अरब वैक्सीन बनाने का अनुबंध कर चुकी है। इसमें से 80-90 करोड़ भारत को मिलेंगी। जुलाई अगस्त तक यह भी उपलब्ध हो जाएगी। इन सबके अलावा भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट युद्धस्तर पर वैक्सीन का उत्पादन कर ही रहे हैं।
इसके अतिरिक्त क्वाड देशों (QUAD) के राष्ट्राध्यक्षों की 12 मार्च को हुई बैठक में ‘कोरोना वैक्सीन इनिशिएटिव’ (Corona Vaccine Initiative) के तहत 2022 के अंत तक वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाने की जिम्मेदारी भी भारतीय कंपनी बायोलॉजिकल ई को सौंपी गयी है। इसका एक बड़े हिस्से का उत्पादन इसी वर्ष होगा। वैक्सीन उत्पादन में इस कंपनी को यूनाइटेड स्टेट्स इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (USIDFC) द्वारा भारी आर्थिक सहायता दी जाएगी।
अतः उपरोक्त तथ्य चीख चीखकर संदेश दे रहे हैं कि दो ढाई महीने और प्रतीक्षा कर लीजिए क्योंकि देश का चौकीदार रात दिन जाग रहा है जूझ रहा है।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)