यह संयोग नहीं एक सोचा समझा खतरनाक षड़यंत्र है
क्या देश की अर्थिक राजनीतिक रीढ़ को कोरोना के बहाने तबाह करने की तैयारी की जा रही है?
Positive India:Satish Chandra Mishra:
पिछले महीने मार्च में एकत्र हुए जीएसटी ने अबतक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। पिछले 5 महीनों से देश मे हर माह एक लाख करोड़ से अधिक जीएसटी एकत्र हो रहा है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है। भारत की आर्थिक प्रगति की इस रफ्तार पर पूरी दुनिया के वित्तीय संस्थान चकित भी हैं और इसकी भरपूर प्रशंसा भी कर रहे हैं।
उपरोक्त तथ्य गवाही दे रहे हैं कि लगभग एक साल तक कोरोना के कहर से जूझते रहे देश को भयानक आर्थिक संकट से उबारने में सरकार को आशातीत सफलता मिली है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को ही जाता है।
लेकिन महाराष्ट्र की कांग्रेस शिवसेना एनसीपी गठबंधन सरकार ने देश की आर्थिक विकास की इस रफ्तार को पलीता लगाने के अपने इरादे आज साफ कर दिए हैं।
उद्धव ठाकरे ने आज देश की आर्थिक राजधानी मुंबई/महाराष्ट्र में 100% लॉकडाउन लगाने के इरादे साफ कर दिए है। अर्थात महाराष्ट्र की कांग्रेस शिवसेना एनसीपी गठबंधन सरकार ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई/महाराष्ट्र की सारी आर्थिक औद्योगिक व्यवसायिक गतिविधियों को पूरी तरह ठप्प कर देने की ठान ली है। ध्यान रहे कि पिछले वर्ष लॉकडाउन इसलिए लगाना पड़ा था क्योंकि उस समय ना टेस्टिंग लैब थीं। ना कोरोना मरीजों के लिए पर्याप्त साधन थे और ना ही वैक्सीन थी। अतः लॉक डाउन ही एकमात्र उपाय था। आज स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। यही कारण है कि बिहार उड़ीसा और उत्तरप्रदेश सरीखे प्रदेश भी साफ शब्दों में कह रहे हैं कि लॉकडाउन की जरूरत नही है। लेक़िन क्या कारण है कि कोरोना संक्रमण के साल भर बाद भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पर्याप्त संसाधन नहीं जुटा पाया.? या उसने जानबूझकर ऐसा किया है.? अपने कोटे की 1.04 करोड़ वैक्सीन को महाराष्ट्र सरकार तय समय पर नहीं लगा सकी और 5 लाख वैक्सीन एक्सपायर हो गयी। लेकिन उद्धव ठाकरे और उसकी सरकार शोर मचा रहे हैं कि हमें वैक्सीन नहीं दी जा रही। यह स्थिति महाराष्ट्र सरकार की नीयत नीति और स्थिति की गवाही दे रही है।
कुछ हफ्ते पूर्व तक भारतीय वैक्सीन के खिलाफ ज़हर उगलती रही छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार का मुख्यमंत्री भी आज हुड़दंग कर रहा है कि हमें वैक्सीन नहीं दी जा रही है।
आखिर इसकी वजह क्या है.?
उल्लेखनीय है कि देश की अर्थिक राजधानी मुंबई/महाराष्ट्र तथा देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 20 दिनों से मौत पुनः बेखौफ नाचने लगी है।
आज सवेरे 8 बजे तक देश में एक्टिव कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 10.47 लाख का लगभग 54 प्रतिशत हिस्सा 5.63 लाख केवल इन 2 राज्यों में है। यदि कांग्रेस शासित 4 अन्य राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और झारखंड के एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 1.39 लाख जोड़ ली जाए तो केवल इन 6 राज्यों के एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 7.02 लाख होती है। यह संख्या देश में एक्टिव कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 10.47 लाख का लगभग 67 प्रतिशत (दो तिहाई से अधिक) है। जबकि इन 6 राज्यों की जनसंख्या 34.11 करोड़ है। यह देश की कुल जनसंख्या 135 करोड़ का 25.30 प्रतिशत मात्र है। देश में कोरोना संक्रमण के कारण हुई 168436 मौतों की कुल संख्या में भी 50 प्रतिशत (84642) हिस्सा इन्हीं 6 राज्यों का है। यदि इसमें गैर भाजपा शासित या यूं कहिये कि भयंकर मोदी विरोधी 4 अन्य राज्य सरकारों (केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और बंगाल) के आंकड़ें सम्मिलित कर दिए जाएं तो इन दस राज्यों में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 7.91 लाख हो जाती है। यह देश मे कुल एक्टिव संक्रमितों की संख्या का 76 प्रतिशत है। अर्थात तीन चौथाई से अधिक है। तथा देश में कोरोना से हुई मौतों में 65 प्रतिशत (108802) मौतें इन्हीं दस राज्यों में हुई हैं। जबकि इन दस राज्यों की 60.82 करोड़ जनसंख्या देश की जनसंख्या का मात्र 45 प्रतिशत हैं।
देश की 55 प्रतिशत जनसंख्या वाले शेष 18 राज्यों एवं 8 केन्द्र शासित राज्यों में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या केवल 25 प्रतिशत मात्र है।
देश की भाजपा एवं गैर भाजपा सरकारों वाले राज्यों में कोरोना संक्रमण की स्थिति में यह भारी अंतर क्या चौंकाने वाला नहीं है.? क्योंकि यह केवल एक संयोग मात्र नहीं हो सकता।
कोरोना वायरस के कारण देश की अर्थिक राजधानी मुम्बई, तथा दिल्ली में रोजाना बिछ रहीं लाशों और कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार हो रही बेलगाम बेतहाशा वृद्धि के आंकड़े इस सवाल को जन्म दे रहे हैं कि देश की अर्थिक राजनीतिक रीढ़ को कोरोना के बहाने क्या एक बार पुनः ठप्प और तबाह बरबाद करने की तैयारी की जा रही है.? इसकी बहुत भारी क़ीमत देश को, देश की सरकार को चुकानी पड़ेगी। देश एकबार फिर भयानक अर्थिक सामाजिक राजनीतिक अराजकता के दावानल में फंस जाएगा। जिसका परिणाम यह होगा कि देश की सरकार और उसके मुखिया प्रधानमंत्री के विरुद्ध जबर्दस्त जनाक्रोश उत्पन्न होगा। क्या यही इसका मुख्य कारण है। यदि ऐसा है, तो ऐसा क्यों है.? इस सवाल का जवाब आज नहीं कल अपनी दूसरी पोस्ट में दूंगा क्योंकि आज यह पोस्ट बहुत लंबी हो जाएगी
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार)