मोदी काल में संगठित होती सनातन राष्ट्रवाद की विचारधारा तथा उसके परिणाम
Positive India:Ajit Singh:
द्वापर के धर्म और अधर्म को लेकर हुये महाभारत के युद्ध का एक प्रसंग है जिसमे वीर पुत्र अभिमन्यु के बलिदान के बाद की बात है जब जयद्रथ को सूर्यास्त के पहले मारने की प्रतिज्ञा धनुर्धर अर्जुन कर चुके थे..और उसको मारने मे असफल होने पर स्वयं को अग्निकुंड मे दाह कर देने की शपथ ले चुके थे…………….अर्जुन की प्रतीज्ञा के फलस्वरूप जयद्रथ के प्राण संकट मे जानकर द्रोणाचार्य उसको अपनी विकट व्युह रचना मे छिपा लेने के साथ जयद्रथ की सुरक्षा में बड़े बड़े वीर तैनात कर देते है……यह सब देख कर तब योगेश्वर बोले….हे अर्जुन तुम अपने यौद्धिक पुरूषार्थ से बस जयद्रथ तक पहुंचने का रास्ता साफ करो…बाकी नियति स्वयं निश्चित करेगी कि उसे क्या करना है…क्योंकि तुम मानव हो जो केवल निमित्त मात्र है…जो कुछ हो रहा है वो कर्ता कर रहा है…आगे बोलते हुये यशोदा नंदन जो बोले वह ध्यान देने योग्य है……….कि अर्जुन कदाचित तुमने मेरे उन उपदेशों पर ध्यान नहीं दिया था जो युद्ध के प्रारम्भ में मैंने अपना विराट रूप दिखा कर तुम्हे दिया था…तुम प्रतिज्ञा करने वाले होते कौन हो…..तुम तो निमित्त मात्र हो…..यदि तुम प्रतिज्ञा न किये होते तो अब तक जयद्रथ को मार चुके होते…क्योंकि तुम्हारा ध्यान अगर एक तरफ सूर्य पर है और दूसरी तरफ जयद्रथ पर……….इसीलिये तुम्हारे निशाने चूक रहें हैं ऐसा लक्ष्य तुमने तय कर दिया है कि असफल होने पर तुम्हारी शपथ तुम्हें ही विनष्ट कर देगी………. .यह अप्रत्यक्ष भय की मानसिकता ही तुम्हें हरा देगी…………………………… द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के उपरोक्त वचन बड़े गहरें हैं…लगता नही कि आज तक किसी ने इससे गंभीर और यथार्थ बात की है..!!
बहरहाल इसको लेकर कई संदर्भों में बात हो सकती है…..वर्तमान कालखंड में देखिये तो विपक्ष के भ्रमजाल मे फंसा जनमानस का एक वर्ग पहले कह रहा था कि धारा ३७० हटा दो तभी समर्थन करेंगे…पाकिस्तान पर हमला कर दो तभी समर्थन करेंगे……राममंदिर बना दो तभी समर्थन करेंगे…अब जब उपरोक्त सब हो गया तो अब वही धड़ा कह रहा है कि पहले जनसंख्या नियन्त्रण कानून और कॉमन सिविल कोड लाओ तब समर्थन करेंगे….दरअसल इनका….या साफ कहूं तो हमारा लक्ष्य ही निश्चित नही है कि क्या और कितना मोदी से चाहते हैं……हममे से एक स्वयं घोषित बौद्धिक वर्ग जो स्वयं कनफ्यूज्ड है और साथ मे दूसरे को भी बरगलाने मे कोई कसर नही छोड़ता…..यही समस्या का वो मूल तत्व है…जिसे हमारे बीच का एक वर्ग अपनी बौद्धिक अपचता के कारण न समझ पा रहा है,न समझना चाहता है और न ही दूसरों को समझाने देना चाहता है……!
मित्रों…………..जब हमारा राष्ट्रवादी नेतृत्व सक्षम है तो खुला समर्थन देने के लिये किसी शर्त की आवश्यकता क्या है…जैसे इतनी कालिख मिटाई गई है वैसे निश्चित ही शनै: शनै: सब कार्य होगा और पिछले लगभग सात साल से एक एक करके हो भी रहा है………दरअसल इस समय विपक्ष द्वारा भडकाये जा रहे प्रचार तंत्र से अपनी भावुकता को अप्रभावित करके सुनियोजित तरीके से काम करने की आवश्यकता है…क्योंकि दूसरी तरफ इमोशनल कार्ड खेल कर खेला होबे कह कर खुद को विकलांग चेयर पर बैठा कर मानसिक रूप से हार जाने वाले या फिर प्रयागराज मे अपने दादा की कब्र की अनदेखी करके भांड मीडिया के कैमरे के सामने गंगा स्नान करने की नौटंकी करने वाले सत्ता वो लोलुप ड्रामेबाज हैं…जो अधीर हिंदुओ को ढाल बनाते है….जबकि सच्चाई यह है कि उन सबको इन सभी यानी मंदिर दर्शन,पूजन,तिलक,व्रत,अनुष्ठान से कोई मतलब नही है….वो सब लोग अर्थात आजकल ताजा हिंदू बनने का नाटक करने वाली जेहादन और वाड्रायन केवल आपको भड़का कर,भरमा कर,बांट कर किसी तरह कुर्सी वापस पाना चाहते हैं…!!
कभी सोचा है कि एक हिंदू क्यों दूसरे हिंदू का साथ नहीं दे पा रहा है……..एक उदाहरण बताता हूं कि कश्मीरी पंडितो के साथ जो हुआ पूरी दुनिया में उससे बड़ी बर्बरता दूसरी कोई नहीं मिलती..आज फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दहाड़े मार मार कर रो रहे हैं कि मोदी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया,कश्मीरी नौजवानों पर सेना गोली बरसा रही है,हमारे लोगो को हिन्दू- मुस्लिम में बांटा जा रहा है,भाई चारा खत्म कर दिया इस सरकार ने…तो फारुख अब्दुल्ला कान आंख नाक खोल सुन…दिलीप कुमार कौल वह शख्स हैं जिन्होंने बांदीपोरा,कश्मीर के एक चौराहे पर जून १९९० को गिरिजा टिक्कू की आरे से काटी गई सिर से लेकर ‘नीचे’ तक दो हिस्सों में बटी देह देखी थी पोस्टमार्टम के बाद गिरिजा टिक्कू की देह को फिर से चमड़े के धागे से सिला गया था…उम्र थी सिर्फ तेईस वर्ष…ज़िंदा शरीर को दो हिस्सों में काटने से पहले गिरिजा को हिन्दू होने की सज़ा दी गई थी दर्जनों जेहादियों ने उनके साथ बर्बर बलात्कार किया था…कश्मीरी पंडितों को ”काफिर हिन्दू’ जा रहा है” कहकर राह चलते गालियां दी जाती थीं सरला भट्ट नामक कश्मीरी हिन्दू नर्स के साथ मेडिकल कालेज में बर्बर बलात्कार हुआ था फिर हत्या हुई शरीर पर सैकड़ों ज़ख्म थे एक हिन्दू नारी देशभक्त होने की सज़ा दी गई थी मृत शरीर के साथ अत्याचार लगभग हर हिन्दू को घाटी में सातो दिन और २४ घंटे भीषणतम अत्याचार और सता कर मारा गया था…१९८९ भारतीय जीवन निगम के बिहार से सम्बद्ध दो डायरेक्ट रिक्रूट ऑफिसर्स को निशात बाग श्रीनगर में एक लकड़ी की हट में बंद कर आग लगा दी गई…एक की हट में ही जलकर मृत्यु हो गई दूसरा बामुश्किल गंभीर हालत में बचाया जा सका लेकिन सुनते हैं कि वो भी मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया दोनों ने देशभक्त हिन्दू होने की सज़ा भुगती……..अनुपम खेर के मामा और मामी रैनाबाड़ी,श्रीनगर मोहल्ले में रहते थे मामा-मामी ने रिटायर होने के बाद शानदार घर बनवाया था गृहप्रवेश की पूजा के चंद दिन बाद एक मौलाना प्रकट हुए अनुपम खेर की मामी से कहा कि “यह घर हम खरीदना चाहते हैं” अनुपम खेर की मामी हतप्रभ रह गईं मौलाना को डांट लगाई कि एकदम नए घर को उन्होंने खरीदने(कब्ज़ा) की इच्छा कैसे ज़ाहिर की…मौलाना चला गया धमकी देकर…अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त में जब खेर की मामी घर के पिछवाड़े में स्थित अपने घर के आंगन में तुलसी को पानी देने गईं तो वह बेहोश होकर गिर पड़ीं घर के आंगन के बीचों-बीच पड़ोसी कश्मीरी पंडित का कटा सिर पड़ा था मौलाना ने धमकी को कार्यरूप दे दिया था चंद रोज़ बाद मामा-मामी घर बन्द कर हमेशा के लिए जम्मू भाग आये…?
सुरक्षाबलों पर आजादी के बाद से ही से जूते-चप्पल फेंकें और फेंकवाये जा रहे थे…आर्मी के जवान के मुंह पर कश्मीरी अलगाव वादी का अदना सा बच्चा कहने की आदत रखता था,कि “गाय तुम्हारी माता है हम उसको खाता है”…सत्तर साल से हमारे सुरक्षाबल खून का घूंट पीकर घाटी में अपना खून बहा रहे थे…कब तक खून बहाते..तब कुछ पता नहीं था…..बिट्टा कराटे टीवी स्क्रीन पर कहा कि चालीस कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद उसने लाशें गिनना छोड़ दिया था…यासीन मलिक ने एयरफोर्स के चार अधिकारियों पर हैंडग्रेनेड फेंक कर हत्या की स्वीकारोक्ति एक विदेशी चैनल पर की थी…..बुरहान वानी को लोग मसीहा बना रहे थे………..कितने लोग जानते हैं कि भारतीय राजनयिक रवींद्र म्हात्रे की हत्या मकबूल बट्ट ने क्यों की थी…..कश्मीरी पंडितों की हत्या होती रहीं केवल एक बीजेपी को छोड़ कर सभी राजनीतिक पार्टियां क्यों खामोश रहीं..श्रीनगर में स्थित संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षक और एमनेस्टी इंटरनेशनल कश्मीरी पंडितों की लाशों की ओर देखने तक से इनकार क्यों करते रहे…क्यो देश का दूसरा हिंदू…कश्मीरी हिंदुओं के खड़ा नही हुआ…क्यों एकजुट नही हुआ…क्यों….आखिर क्यों…..दरअसल हिन्दू ने कभी किसी दूसरे हिन्दू को अपना आत्मीय भाई माना ही नही…..यह मै नही सदियों का साक्षी इतिहास सीना ठोंक कर कह रहा है………….घाटी से हिन्दू भागता नहीं तो क्या करता,जब सब साथ छोड़ चुके थे..खैर कश्मीर की वादियों मे घट चुके इन सब राष्ट्र और हिंदू विरोधी खेलों को अनदेखा करने का परिणाम भुगतने वाला वही हिंदू एक बार फिर बंगाल के खेला होबे की चाल को नही समझेगा तो उसका भविष्य मौलाना बरकती,रोहिग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के रहनुमा ही लिखेंगे….मेरी यह सजग,सतर्क और सावधान करने वाली बाते जिन्हे समझ मे नही आएगी..विश्वास करिये कि ममता की वापसी के बाद वो बोरिया बिस्तर बाँध कर पलायन कर चुकने की अवस्था मे पहुंच चुके होगें(वैसे यह यानी ममता की वापसी संभव नही है)…..!!!!!
अब और इतना ही कहूंगा सारी सनातन राष्ट्रवाद की विरोधी शक्तियां अपनी उसी सोची समझी योजना “गजवा ए हिन्द” के मिशन के साथ हिंदुओ को धर्मांतरित करके देश को पुन: विभाजित करने के प्लान पर चल रही हैं और बीजेपी को छोड़कर सभी दल उनके इस मिशन पर आँखे बंद करके कुर्सी के लालच मे तुष्टीकरण की समर्थक बनी बैठी हैं……लेकिन अब एक ऐसी सरकार २०१४ से आयी है,जिसकी सरपरस्ती में हम इन देश और धर्मविरोधी ताकतों को माकूल जवाब दे सकते है और मेरे जैसे लाखो सिरफिरे दे भी रहे है अपना हिन्दू अस्तित्व बचाने के लिये…….अपने महामानव को बचाने के लिये क्योंकि हमे मालूम है कि वो ताकतें बहुत अच्छे से जानती है कि जिस दिन ये सफेद दाढ़ी वाला आदमी झुक जायेगा…फिर भारत और सनातन कभी खड़ा नही हो पायेगा……..जिस दिन ये आदमी थक जाएगा भारत कभी चल नही पायेगा…जिस दिन ये आदमी टूट जाएगा भारत हमेशा के लिए बिखर जायेगा…उनका असली लक्ष्य ये आदमी नही बल्कि हमारा देश और धर्म है और हीराबेन का ये सपूत उनके और हमारे बीच मे ढाल बनकर खड़ा है…ये हमारा रक्षा कवच भी है और हमारी ताकत से इसको हिम्मत मिलती है..आपके मेरे जैसे लोगों ने अगर अपनी ताकत खो दी तो इतिहास हमें क्षमा नहीं करेगा शायद इतिहास में हमारा कोई नामलेवा ही नहीं बचेगा…तो जागो…जो धर्म योद्धा धर्म रक्षार्थ दिन रात अपनी जान की परवाह किये बगैर आपके हिस्से की भी लड़ाई लड़ रहे है,उन को आपके मनसा,वाचा,कर्मणा साथ कि जरूरत है,उनकी मदद करे..जो लड़ सकते है लड़े…जो कलम जैसे हथियार से योगदान दे सकते है..दें,जो धन दे सकते है…दें………जो इन ऊपर लिखी बातों में से कुछ भी नहीं कर सकते तो कम से कम सनातन योद्धाओं का विरोध न करें और राष्ट्रधर्म के विजयी होने की प्रार्थना करके अपने सनातन राष्ट्रवादी चरित्र को ईमानदारी से निभाये……….विश्वास करिये कि विजय हमारी ही होगी…हम ही जीतेंगे…..सदियों से चल रहा संघर्ष साक्षी है कि बहुत प्रयासों के बाद भी सनातन राष्ट्रवाद की विचारधारा सीना ठोंक कर तब भी खड़ी थी…आज भी है और आगे भी गर्व से खड़ी रहेगी….लेकिन शर्त यही है कि बस आप संगठित रहिये….जय रामजी की….!!
#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)