पश्चिम बंगाल के चुनावी घमासान में वामपंथी दल और कांग्रेस कहीं क्यों नहीं दिख रहे
Positive India:Dayanand Pandey:
पश्चिम बंगाल के चुनावी घमासान में चुनाव परिणाम चाहे जो हों पर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा तो निरंतर घमासान मचाए हुए हैं। पर वामपंथी दल और कांग्रेस कहीं क्यों नहीं दिख रहे , समझना कठिन है। चलिए माना कि मुख्य धारा का मीडिया बिकाऊ है , नहीं दिखा रहा पर यह लोग तो सोशल मीडिया पर भी ख़ामोश क्यों हैं ? सारे कामरेड अभी राख हो चुके किसान आंदोलन की रुदाली में ही अभी व्यस्त हैं। बंगाल चुनाव उन के एजेंडे में दीखता ही नहीं। भाजपा ने तो केरल की तैयारी भी शुरू कर दी है और मेट्रो मैन ई श्रीधरन को भाजपा में ले कर उन को मुख्य मंत्री का चेहरा बनाने की मंशा जता दी है। कामरेडजन इसे श्रीधरन का पतन बताते हुए झूम रहे हैं और कह रहे हैं कि केरल में भाजपा का सिर्फ़ एक विधायक है अभी। आगे भी श्रीधरन क्या कर लेंगे ?
इन मूर्ख शिरोमणियों को कोई यह बताने वाला भी नहीं है कि पश्चिम बंगाल में भी भाजपा के सिर्फ़ तीन ही विधायक हैं अभी। पर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस और उस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की नाक में पानी भर दिया है। और कामरेडजन वहां लाल सलाम भी नहीं कह पा रहे हैं। राख हो चुके किसान आंदोलन पर प्रवचन का ही रिकार्ड बजाने में ख़ुश हैं वह। कांग्रेस पेट्रोल और गैस की रुदाली में संलग्न हो गई है। वह कहते हैं न कि खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी ! पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस और कम्युनिस्टों के गठबंधन की यही गति है। पश्चिम बंगाल चुनाव ही क्यों , समूची राजनीति में कांग्रेस और कम्युनिस्टों की जोड़ी खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी वाली लोकोक्ति को चरितार्थ करती हुई दिखती है। केरल में भी यह देखना अभी शेष है। जो नहीं जानते , अब से जान लें , कोई नुकसान नहीं है। बशर्ते हिंसा और तानाशाही के सिद्धांत से अपना यक़ीन ख़त्म कर लोकतंत्र और अहिंसा में यक़ीन करना सीख लें। वह यह कि जनमत आग की नदी है , कायर क़ानून नहीं । बहुत जेंटली , बहुत साईलेंटली फ़ैसला लेती है। बाक़ी आप की रिल्यूशनरी टाइप की लफ़्फ़ाज़ी , माऊथ कमिश्नरी आप को मुबारक़ हो।
साभार:दयानंद पांडेय-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)