Positive India:Satish Chandra Mishra:
आज यह आवश्यक हो गया है कि सोशल मीडिया की दुनिया में पूर्णतया भारतीय संवाद मंच Koo पर आप भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराइये।
अंग्रेजी के वर्चस्व वाले ट्विटर द्वारा भारतीय सम्प्रभुता स्वतन्त्रता को खुलकर दी जा रही चुनौती के पश्चात यह आवश्यक हो गया है कि हम भारतीयों के पास सोशल मीडिया के अपने स्वदेशी संवाद मंच हों।
देश के प्रतिभाशाली युवा कम्प्यूटर विज्ञानियों द्वारा इस दिशा में उल्लेखनीय सफल प्रयास किये गए हैं। Koo उन्हीं सफल प्रयासों की श्रृंखला की ही एक श्रेष्ठ कड़ी है।
Koo की विशेषता यह है कि ये मूलतः हिंदी लिखने पढ़ने बोलने वालों का ही मंच बनकर उभर रहा है।
अगस्त में अपने कार्यक्रम “मन की बात” में प्रधानमंत्री द्वारा Koo का उल्लेख किए जाने के तत्काल बाद ही मैं इससे जुड़ गया था पर ज्यादा सक्रिय नहीं था। लेकिन अब जिस प्रकार से ट्विटर भारत विरोधी ढिठाई पर उतारू हो गया है, उसके पश्चात यह आवश्यक हो गया है कि Koo को अपना कर उसका उपयोग प्रारंभ कर के भारतीय सोशल मीडिया में ट्विटर के वर्चस्व को पूरी तरह ध्वस्त किया जाए। यह कोई कठिन या असम्भव कार्य नहीं है। “ज्योत से ज्योत जलाते चलो” की परंपरा के अनुसार आप यदि अपने परिचित केवल 15-20 लोगों को इस अनुरोध के साथ Koo से परिचित कराएं कि वो आगे अपने 15-20 परिचितों को Koo के विषय में जानकारी दें। यह श्रृंखला तैयार होते ही केवल कुछ दिनों में ही केवल 1.75 करोड़ यूजर्स वाला ट्विटर औंधे मुंह लेटा नजर आएगा। केवल दस दिन पहले, 5 फरवरी तक Koo के दस लाख यूजर्स थे। लेकिन ट्विटर की भारत विरोधी हठधर्मिता के बाद पूर्णतया स्वदेशी संवाद मंच की मांग ने आंधी का रूप ले लिया है। परिणामस्वरूप केवल दस दिनों में Koo के यूजर्स की संख्या बढ़कर 35 लाख के पार पहुंच चुकी है। अतः आप भी देश के संवाद मंच पर उपस्थित होकर देश के लिए देश की आवाज देश के साथ बुलंद कीजिये।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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