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राम मंदिर निर्माण ने तय कर दिया 2024 का एजेंडा

राम मंदिर निर्माण से तथाकथित सेकुलरो और विपक्षियों में घुसा भय।

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
राममंदिर का निर्माण शुरू हो गया,वहीं इससे जुड़े सभी विवाद पर भी विराम लग गया । पर कुछ लोग ऐसे है जिन्हे ऐसा लगता है कि इस मुद्दे को लेकर वे जितना इसे छेड़ने की कोशिश करेंगे, उन्हे उससे उतना ही राजनीतिक लाभ मिलेगा। कुछ दल है जो धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार है, यह उनका अपना नजरिया है । ये लोग धर्म को भी नहीं मानते, वहां तक भी ठीक है । पर उनका यह मानना कि ये सिर्फ यहां के बहुसंख्यक समुदाय पर ही लागू होता है,  बाकियो पर नही; उनके राजनीतिक चरित्र का दोगलापन ही दिखाती है । कुछ दलों ने राममंदिर निर्माण के पहले और बाद में इसका विरोध किया,  पर जब से राममंदिर निर्माण से जुड़े लोगों ने मंदिर के लिए धन संचय का काम चालू किया तो ये लोग असहज हो गये । जिस तरह से बहु संख्यक समुदाय मे उत्साह दिख रहा है, यह सब उनके बैचैनी का कारण बना हुआ है। पहले ही दिन धन अर्पण राशि मे बगैर आव्हान के लोगों का अपने आप जुड़ना, अपने धर्म से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। राममंदिर के निर्माण से लोग भावनात्मक रूप से  जुड़ते चले जाऐंगे। 
राम मंदिर के निर्माण को लेकर योजनाबद्ध तरीके से भी काम हो रहा है। इन संगठनों की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोग मंदिर निर्माण मे अपने तरफ से जो भी दे उसे स्वीकार करे, इस तरह मंदिर के निर्माण मे वो बंदा अपने सहयोग को भी याद रखेगा । असली बात तो यह है इन्हे अब राममंदिर के निर्माण से कोई लेना देना नही है। इन्हे इसके होने वाले राजनीतिक नफा नुकसान की ज्यादा चिंता है।  विगत सात दशकों से जो धर्मनिरपेक्षता के नाम से ठगा गया, उससे अब बहुसंख्यक समुदाय इनकी राजनीति को समझ गया है । इन लोगों द्वारा मंदिर निर्माण मे अधिक से अधिक लोगों का जुड़ना,इनके लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
राम मंदिर का निर्माण एक आम हिंदू के लिए जहां गर्व का विषय है, वही अपने जीवन में इसे मूर्त रूप में देखना एक सपने से कम नहीं है। धन संग्रह से जहां यह निर्माण उन्हे उनके धर्म से जोड़ने का कार्य करेगा, वहीं उनमे एक धार्मिक चेतना भी जागृत करेगा । जिसका दुर्भाग्य से नितांत अभाव था । यह जागरण निश्चित रूप से राजनीतिक दिशा निर्देश भी देश का तय करेगा, यही भय तथाकथित सेकुलरो तथा विपक्षियों के मन मे घुस गया है ।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा वैसे भी अपराध पर लगाम लगाने के कारण से जनमानस में उसका शुभ संकेत जा रहा है । राम मंदिर को जिस तरह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ा जा रहा है,इससे विश्व के किसी भी धरोहर से बीस बैठने की उममीद की जा रही है। निश्चित ही यह मंदिर विश्व के सातवे अजूबे में से एक हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। अगर कोई भी बाहर से भारत आएगा तो वो सबसे पहले रामलला के दर्शन की चाहत रखेगा। अयोध्या को विश्व पटल मे जगह मिलने से हिंदू धर्म के उत्थान के  लिए भी जगह मिलेगी ।
यह मंदिर जितना लोगों को आकर्षित करेगा, उसका एक दल विशेष को जो फायदा होगा, उसकी चिंता विपक्षियों को ज्यादा है । ये वही दल है जो आज तक इन तथाकथित सेकुलरो की नजरों मे सांप्रदायिक था । खैर, राममंदिर का अब मुस्लिम समुदाय ने भी तहे दिल से स्वागत किया है। उस दिन मैं एक यू टयूब चैनल में देख रहा था कि किस तरह एक मुसलिम बहन ने मंदिर के निर्माण में अपने तरफ से ग्यारह हजार रूपये अपने परिवार के साथ आकर दान किया । पर इसे कोई नहीं दिखायेगा। 
अगले साल उत्तर प्रदेश मे चुनाव है और मंदिर के निर्माण से चुनाव का लाभ भी इन विपक्षी दलों को दिखने लगा है।  यही कारण है कि मंदिर का कोई फायदा योगी जी को न मिल जाए, वो चिंता इनकी राजनीतिक सेहत खराब कर रही है। योगी जी का दृढ निश्चय,अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट, विश्वस्तरीय रेल्वे स्टेशन निश्चित ही अयोध्या की काया कल्प कर देगा । ” मंदिर हम वहीं बनायेंगे” का नारा मोदी जी के अपने दिये गए वचनों को पूरा करने की पुष्टि करता है और सन चौबीस मे इसके पूर्णता का लाभ चुनाव मे होगा। यह भी तथाकथित सेकुलरो लिए एक यक्ष प्रश्न बन कर खड़ा हो रहा है। 
थोड़ी बहुत सुगबुगाहट काशी और मथुरा के मंदिर को लेकर भी है, पर यह अभी न्यायालय मे विचाराधीन है। राममंदिर के दूरगामी परिणाम विपक्षियों को साफ दिखाई दे रहे है । जिन वोटों पर यह लोग राजनीति कर रहे थे, उसके भी कई दावेदार खड़े हो गए है,जो पश्चिम बंगाल में साफ दिखाई दे रहा है।राममंदिर निर्माण ने आस्था के साथ साथ लोगों को अपने धर्म के लिए जागृत कर दिया है। यह हमारे लिए गौरव की बात है।  देश को राममंदिर निर्माण की बधाई । बस इतना ही। 
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ-अभनपूर (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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