Positive India:Suresh Mistry:
कौन सोच भी सकता था कभी…
किस की कल्पना के अश्व इतने द्रुत गामी नहीं रहे होंगे, जो यह कल्पना तक कर सके।
कि विश्व महाशक्ति अमेरिका में ऐसा आंतरिक कलेश और दो ध्रुवों का विवाद स्थापित हो चलेगा ।
कि अपनी ज़मीन पर कानून व्यवस्था की कड़े पालक अमेरिकी जनता,
व्हाइट हाउस पर चढ़ाई मान होगी…
लोक तंत्र की रक्षा को भीड़ तंत्र की अगुवाई के दृश्य अमेरिकी ज़मीन पर से दुनिया देखेगी…
अविश्वसनीय स्तर पर आश्चर्यजनक हे यह सब
कुछ तो बहुत ही बड़े स्तर पर आंतरिक बदलाव आया है प्रजा के वैचारिक टकराव में वहां…?
यह ऊपरी स्थापित शांति और लोकतंत्र की दुहाई वादी देश…अब ढहते किले की कंगुरे में तो नहीं बदलेगा यूंही धीरे धीरे…?
वाम पंथियों ने…महान अमेरिका की जड़े हिला दी है…क्या वह इतने सक्षम हो गए वहां…
जिहादी और वामादी…जहां सेंध बना लेते है वह महा सत्ता अमेरिका ही क्यों ना हो उसकी प्रतिष्ठा धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ते
ट्रंप चिचा के लिए दुख रहेगा…यह अकेला भड़वीर शुरा पूरे अमेरिकी वमी जिहादी मोर्चे से जुझा हे…
लेखक:✍️ सुरेश-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)