अंधेर नगरी चौपट राजा को चरितार्थ करते उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे आज देश के सामने चौपट राजा का शर्मनाक प्रतीक बन चुका है ।
Positive India:Satish Chandra Mishra:
“अंधेर नगरी चौपट राजा” का अर्थ यही होता है…
जिन दर्जन भर पुलिसकर्मियों ने अपने हाथों से दो वृद्ध साधुओं को हत्यारों के हाथ सौंप दिया। फिर उन्हीं दर्जन भर पुलिसकर्मियों के घेरे में उनकी आंखों के सामने हत्यारों ने उन वृद्ध साधुओं को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया। इस हत्याकांड को हुए आठ माह भी व्यतीत हो गए। उन दर्जन भर पुलिसकर्मियों में से एक भी पुलिस वाले को मुम्बई पुलिस ने आजतक रिमांड पर नहीं लिया।
लेकिन….. रिपब्लिक चैनल के सीईओ विकास, जिसके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई छोटी मोटी शिकायत भी किसी ने दर्ज नहीं करायी है, उस विकास को हिरासत में लेकर 100 घंटे तक पूछताछ करने के बाद मुम्बई पुलिस ने आज 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया। गजब देखिये कि कोई यह सवाल भी नहीं पूछ रहा है कि मुम्बई पुलिस ने विकास को 100 घंटे तक पुलिस हिरासत में किस कानून के तहत रखा.?
ज्ञात रहे कि साधारण अपराधी की बात तो छोड़िए, किसी दुर्दांत आतंकवादी तक को गिरफ्तार करने के बाद उसे 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना पुलिस के लिए जरूरी होता है।
विकास की पुलिस हिरासत और रिमांड सटीक उदाहरण है कि “अंधेर नगरी चौपट राजा” का अर्थ क्या होता है.?
उद्धव ठाकरे आज देश के सामने चौपट राजा का शर्मनाक प्रतीक बन चुका है और महाराष्ट्र को अंधेर नगरी बनाने पर तुला हुआ है। अरनब गोस्वामी और कंगना रानौत के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत में महाराष्ट्र की सरकार और मुम्बई पुलिस को जिस तरह लताड़ा फटकारा गया है तथा हाइकोर्ट के फैसले पर बहुत तीखी टिप्पणी कर के उसके फैसले पर गम्भीर सवाल उठाए गए हैं। उन सभी प्रकरणों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि महाराष्ट्र और उद्धव ठाकरे आज देश और दुनिया के समक्ष “अंधेर नगरी चौपट राजा” का सबसे निकृष्ट और नारकीय उदाहरण बन चुका है।
साभार:सतीश चंद्र मिश्रा-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)