मोदी सरकार कुछ ज्यादा ही लोकतांत्रिक है
टू मच ऑफ डेमोक्रेसी से सुधारों में धीमापन आता है।
Positive India:Sujit Tiwari:
नीति आयोग के चेयरमैन अमिताभ कांत ने लोकतंत्र के संदर्भ में कटु सत्य बोला है। उन्होंने कहा, “टू मच ऑफ डेमोक्रेसी से सुधारों में धीमापन आता है”।
इसमें मै अपनी तरफ से एक बात और जोड़ना चाहता हूं, “मोदी सरकार कुछ ज्यादा ही लोकतांत्रिक है”… इसलिए कभी कभी कुछ समर्थकों को सरकार की कार्यप्रणाली समझ नहीं आती।
लोकतंत्र की अधिकता और मोदी सरकार का अत्यधिक लोकतांत्रिक होना क्या है ?
जब सरकार देशहित मे कुछ बड़े रिफॉर्म्स करती है, जैसे; CAA, GST, 370 हटाना, राफेल डील, कृषि कानून, नयी शिक्षा नीति आदि संसद से पारित अनेक कानून बनाती है और विपक्षी दल व विपरीत विचारधारा के लोगों द्वारा इसको लेकर जनता के बीच भ्रम फैलाना, आंदोलन करना, सड़के अवरुद्ध करना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और देश विरोधी भाषा बोलने की आजादी ही “टू मच ऑफ़ डेमोक्रेसी” है!
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को न मानना, सरकार द्वारा बनाए गए नियम कानून को न मानना, अनुचित मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन करना, सड़कें बंद करना, अन्य पब्लिक को परेशान करना, राजनैतिक विचारधारा के कारण सरकार के हर निर्णय के विरोध में भारत के टुकड़े, आजादी और कब्र खोदने की नारेबाजी करना व समाज में फूट डालने वाले जहरीले बैनर पोस्टर लहराना, सेना पर अविश्वास करना, सेना पर लांछन लगाना, खालिस्तान का समर्थन करना, आतंकी अफजल गुरु को शहीद बताना, पाकिस्तान का समर्थन करना, अलगाववादियों और आतंकियों का समर्थन करना, शहरी माओवादियों को सपोर्ट करना, अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमो को देश में पनाह देने की वकालत करना, विदेशी आक्रांताओं बाबर/मुगलों को बाप बताना आदि ये सब “टू मच ऑफ़ डेमोक्रेसी” ही तो है।
विपक्षी दलों से संबंधित व विपरीत विचारधारा के लोगों का अलोकतांत्रिक आचरण भारत की सुरक्षा, शांति और संप्रभुता के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
सरकार का लोकतंत्र के नाम पर ऐसे तत्वों पर कार्यवाही न करना, इन्हे इग्नोर करना ही “अत्यधिक लोकतांत्रिक होना” है।
चाहे अमेरिका हो, फ्रांस हो या भारत वर्तमान में “अत्यधिक लोकतंत्र” हर लोकतांत्रिक देश की एकता, अखंडता, शांति, सुरक्षा और संप्रभुता के लिये विभिन्न चुनौतियां खड़ी कर रहा है।
साभार:सुजीत तिवारी(ये लेखक के अपने विचार हैं)