धर्मेंद्र प्रधान ने 42 सीएनजी स्टेशन और 3 सिटी गेट स्टेशन समुदाय की सेवा के लिए समर्पित किया
गैस आधारभूत संरचना में 60 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है
Positive India:Delhi; Oct 07, 2020.
पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) की पहुंच का विस्तार करते हुए आज 42 सीएनजी स्टेशनों और टोरेंट गैस के 3 सिटी गेट स्टेशन को समुदाय की सेवा के लिए समर्पित किया। मंत्री के कार्यक्रम के दौरान सभी सीएनजी स्टेशन और सिटी गेट स्टेशन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े थे।
टोरेंट गैस के पास सात राज्यों और 1 केन्द्र शासित प्रदेशों के 32 जिलों में सिटी गैस वितरण नेटवर्क बिछाने का अधिकार है। ये सीएनजी स्टेशन विभिन्न राज्यों में स्थित हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश में 14, महाराष्ट्र में 8, गुजरात में 6, पंजाब में 4 और तेलंगाना और राजस्थान में 5-5 शामिल हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में एक-एक सिटी गेट स्टेशन है।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने सभी सीजीडी एजेंसियों से काम्प्रिहेन्सिव इनर्जी रीटैलर विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार की परिकल्पना है कि उपभोक्ता को अपनी क्रय क्षमता और ईंधन के विकल्प के अनुसार, खुदरा आउटलेट से किसी भी प्रकार का ईंधन खरीदने में सक्षम होना चाहिए चाहे वह पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलएनजी या इलेक्ट्रिक चार्जिंग हो। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मोबाइल डिस्पेंसर के माध्यम से ईंधन की आपूर्ति करना चाहती है ताकि उपभोक्ताओं को उनकी सुविधा के अनुसार उनके दरवाजे पर ईंधन मिल सके। मंत्री ने कहा कि बैटरी स्वैपिंग सुविधाओं के विस्तार के लिए भी रणनीति बनाई जा रही है। मंत्री ने लेनदेन के हर मामले में बड़े पैमाने पर डिजिटल सेवा अपनाने पर भी जोर दिया। प्रधान ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता बन जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में सीजीडी नेटवर्क का विकास 2030 के लिए सीओपी-21 जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री के सपने के अनुरूप है। सौर ऊर्जा क्षेत्र में, भारत पहले ही रोल मॉडल बन चुका है। श्री प्रधान ने कहा कि लगभग 60 बिलियन डॉलर का निवेश जो कि 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, गैस आधारभूत संरचना में किया जा रहा है जिसमें पाइपलाइन, टर्मिनल, गैस क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है जो न केवल स्वच्छ और कारगर ईंधन है बल्कि यह आयातित कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम करने में भी मदद करेगा। श्री प्रधान ने सीजीडी कंपनियों को कृषि अवशेषों, वन उपज, शहर के कचरे और गोबर का उपयोग करते हुए कम्पोस्ड बायो-गैस का उत्पादन करने के लिए बायोमास-आधारित संयंत्रों में निवेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के 500 संयंत्र पहले ही स्थापित किए जा रहे हैं और ऐसे 5000 संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान, हमारे कोरोना-योद्धाओं ने खतरों को भांपते हुए उपभोक्ताओं को समय पर उनके घर में आपूर्ति सुनिश्चित की।
इस अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव तरुण कपूर ने कोविड की समस्या के बावजूद अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीजीडी संस्थाओं के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के गैस आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने के प्रयास के लिए पीएनजी और सीएनजी के संवर्धित उपयोग की दिशा में सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने के वास्ते वितरण नेटवर्क की स्थापना और वृद्धि महत्वपूर्ण है।
साल 2014 की जहां 938 सीएनजी स्टेशन थे वहीं 2020 में करीब 2300 सीएनजी स्टेशन है। इसके कारण देश में सीएनजी स्टेशनों की संख्या बढ़कर दोगुना से अधिक हो गई है। मौजूदा सीएनजी स्टेशनों और 9वें और 10वें राउंड के उम्मीद के तहत भारत आने वाले सालों में लगभग 10,000 सीएनजी स्टेशनों का मजबूत बुनियादी ढांचा देख रहा है।
2018 में समाप्त होने वाली 9वीं सीजीडी बोली राउंड भारत का अब तक का सबसे बड़ा राउंड था जिसमें 86 जीए के साथ 174 जिले थे। 10वें सीजीडी बोली राउंड में 50 जीए के साथ 124 जिला था जिसमें निवेशकों की भारी दिलचस्पी देखी गई। 9वें और 10वें दौर में कुल मिलाकर लगभग 120,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इन राउंड के बाद देश के 407 जिलों में सीजीडी बुनियादी ढांचे का परिचालन होगा, जिसमें देश के 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को कवर करने और 70 प्रतिशत से अधिक आबादी की सेवा करने की क्षमता है।
सीजीडी क्षेत्र में इतनी बड़ी क्षमता वृद्धि से आने वाले सालों में पीएनजी मीटर, पीएनजी रेग्युलेटर, सीएनजी कंप्रेशर्स, सीएनजी डिस्पेंसर और सीएनजी कैस्केड के लिए अधिक मांग होने की उम्मीद है। सीजीडी क्षेत्र से इस तरह की सुनिश्चित मांग का अस्तित्व घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन प्रदान करेगा और आत्म निर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगा और देश के विभिन्न हिस्सों में स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराएगा।