केंद्र ने पूर्वोत्तर राज्यों से कोविड-19 के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने के लिएसक्रिय रूप से सहयोग देने का आह्वान किया
स्वास्थ्य सचिव ने 8 पूर्वोत्तर राज्यों में कोविड-19 प्रबंधन रणनीतियों की समीक्षा की
Positive India:Delhi;12 september 2020
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने आज एक वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से आठ पूर्वोत्तर राज्यों में कोविड-19 के लिए किए गए प्रबंधन रणनीतियों और उठाए गए कदमों की समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य सचिव और उन राज्यों के अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए।इन 8 पूर्वोत्तर राज्यों में कुल मिलकर, देश के कुल सक्रिय मामलों के 5% से भी कम मामले हैं।
आज की तारीख में,उस क्षेत्र मेंसक्रिय मामलों की कुल संख्या 29,690 है और वर्तमान में इन आठ पूर्वोत्तर राज्यों के कुल सक्रिय मामलों में असम की भागीदारी 68% है। त्रिपुरा में 7,383 सक्रिय मामले हैं और इसके साथ ही वह इन 8 पूर्वोत्तर राज्यों के कुल सक्रिय मामलों का 17% होने के साथ हीदूसरे स्थान पर हैं।
केंद्रीयस्वास्थ्य सचिव ने अस्पतालों में रोकथाम उपायों को निरंतर लागू करने, जांच में वृद्धि करने और सक्रिय मामलों वाले रोगियों के लिए प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।इन 8 राज्यों के सचिवों और प्रतिनिधियों ने कोविड-19 की वर्तमान स्थिति पर अपने गहन विश्लेषण को साझा किया, जिसमें रोकथाम के उपायों, संपर्क अनुरेखण, निगरानी गतिविधियां,सुविधा केंद्र के अनुसार मृत्यु दर, साप्ताहिक नए मामले और मौतों की संख्या आदि से संबंधितविषयों को शामिल किया गया। उन्होंने अगले एक महीने के लिए अपने विस्तृत रोडमैप और कार्य योजनाओं को भी साझा किया।
समीक्षा बैठक में, राज्य में किए गए आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन परीक्षणों के विभाजन के संदर्भ में बारीकियां, एंटीजन परीक्षणों से रोगसूचक नकारात्मक मामलों का पुनः परीक्षण प्रतिशत, परीक्षण प्रयोगशाला का उपयोग, अस्पताल में भर्ती होने की संख्या और ऑक्सीजन समर्थित बिस्तरों में सेकुल बिस्तरोंका उपयोग, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर आदि के बारे में भी जानकारियां प्रस्तुत की गईं।
राज्यों को निम्नलिखित विशिष्ट क्षेत्रों मेंआवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई:
रोग नियंत्रण के लिए कठोर उपायों को लागू करके और सामाजिक दूरी के उपायों का पालन करके, नियंत्रण का सख्त पैमाना अपनाकर और घर-घर जाकर मामलों का पता लगाकर संक्रमण के प्रसार को सीमित करना।
राज्यों और जिलों में जांच करके, आरटी-पीसीआर जांच क्षमता का विवेकपूर्ण और पूर्ण रूप से उपयोग करके रोग की प्रारंभिक अवस्था मेंही पहचान करना।
होम आइसोलेशन मामलों की प्रभावी निगरानी और रोग के लक्षण में वृद्धि के मामले में जल्द-से-जल्द अस्पताल में भर्ती करना।
बिना किसी रूकावट के अस्पताल में भर्ती और चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले रोगियों के लिए तुरंत प्रवेश प्रदान करना, विशेष रूप से सहरुग्णता और बुजुर्ग लोगों के लिए।
मृत्यु दर को 1% तक या इससे कम रखना।
सचिवों एवं अन्य अधिकारियों से इसी प्रकार की कठोरता के साथ महामारी का प्रबंधन करने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखने का आग्रह किया गया।