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आंशिक ऋण गारंटी योजना (पीसीजीएस) 2.0’ की अवधि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अधिक लचीलेपन के साथ बढ़ाई गई

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Positive India Delhi 18 August, 2020.

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सरकार द्वारा घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के एक हिस्से के रूप में आंशिक ऋण गारंटी योजना (पीसीजीएस) 2.0 का शुभारंभ 20 मई 2020 को किया गया था जिसका उद्देश्‍य एनबीएफसी/एचएफसी/एमएफआई द्वारा जारी किए गए ‘एए’ और उससे कम रेटिंग वाले बॉन्‍डों या कमर्शियल पेपरों (सीपी) को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा खरीदे जाने पर पोर्टफोलियो गारंटी प्रदान करना था। ‘पीसीजीएस 2.0’ के तहत 45,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड/सीपी खरीदे जाने की परिकल्पना की गई थी, जिसके तहत ‘एए/एए-’ रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी को कुल पोर्टफोलियो का अधिकतम 25% तक यानी 11,250 करोड़ रुपये का ही खरीदे जाने की अनुमति थी। इसके अलावा, सरकार ने एनबीएफसी/एचएफसी द्वारा जारी कमर्शियल पेपरों (सीपी) और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों (एनसीडी) की खरीद के लिए अलग से ‘विशेष तरलता योजना (एसएलएस)’ की घोषणा की थी, जिनकी शेष बची परिपक्वता अवधि 3 माह तक होनी चाहिए थी तथा जिसे 3 माह तक की अवधि के लिए और बढ़ाया जा सकता था। इसके तहत अधिकतम 30,000 करोड़ रुपये तक के मूल्‍य की खरीद की जा सकती थी, जिसमें जरूरत के अनुसार आवश्यक राशि तक वृद्धि की जा सकती थी।

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‘पीसीजीएस 2.0’ के तहत पीएसबी ने 28 निकायों द्वारा जारी किए गए ‘एए/एए-’ रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी और 62 निकायों द्वारा जारी किए गए ‘एए’ से कम रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी की खरीद को मंजूरी दी है जिनका मूल्‍य कुल मिलाकर 21,262 करोड़ रुपये है। एए- से कम रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी का औसत आकार दरअसल ‘एए/एए-’ रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी के औसत आकार की तुलना में काफी कम है। ‘एसएलएस’ के तहत अब तक खरीद के लिए 7,464 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
इस योजना के तहत अब तक की प्रगति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एए/एए- रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी के लिए निर्धारित सीमा तक लगभग पहुंचा जा चुका है और कम रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी के कम औसत आकार को देखते हुए उनकी मांग अब परिपूर्णता के करीब है, सरकार ने अब बॉन्डों/सीपी की खरीद के लिए पीसीजीएस 2.0 को निम्नानुसार संशोधित करने का निर्णय लिया है:
पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 3 माह का समय दिया गया है। छह माह के आखिर में अर्थात 19.11.2020 तक पोर्टफोलियो को वि‍तरित की गई वास्तविक राशि के आधार पर निश्चित स्‍वरूप दिया जाएगा, ताकि गारंटी को प्रभावी किया जा सके।
पोर्टफोलियो स्तर पर, योजना के तहत एए और एए- निवेश सब-पोर्टफोलियो को दरअसल योजना के तहत पीएसबी द्वारा खरीदे गए बॉन्डों/सीपी के कुल पोर्टफोलियो के 50% (पूर्व निर्धारित 25% के बजाय) से अधिक नहीं होना चाहिए।
यह उम्मीद की जा रही है कि उपर्युक्‍त संशोधन से ‘पीसीजीएस 2.0’ के तहत बॉन्डों/सीपी को खरीदने में पीएसबी (सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक) को अपेक्षाकृत अधिक लचीलापन प्राप्‍त होगा।

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