www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

रामायण में धर्म की जिस मर्यादा का वर्णन है उसे जीवन में आत्मसात करें, उसके सार्वभौमिक संदेश का प्रचार प्रसार करें : उपराष्ट्रपति

रामायण भारतीय परंपरा में अपेक्षित मर्यादित आचरण का महा काव्य है उपराष्ट्रपति ने अ

Ad 1

Positive India: Delhi ;4 August, 2020

Gatiman Ad Inside News Ad

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से आग्रह किया है कि वे रामायण में जिस धर्म या मर्यादित सदाचार का वर्णन है उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और उसके सार्वभौमिक संदेश का प्रचार प्रसार करें। उन्होंने लोगों से कहा है कि इस कालातीत महाकाव्य में जिन आधारभूत मूल्यों और आदर्शों का वर्णन है उससे अपने जीवन को समृद्ध करें।
17 भाषाओं में अपने फेसबुक पोस्ट ” श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण और उन आदर्शों की स्थापना ” में उपराष्ट्रपति ने 5 अगस्त से प्रस्तावित राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर संतोष जाहिर किया है।
उन्होंने लिखा है कि यदि हम रामायण को सही परिपेक्ष्य में देखें तो यह अवसर समाज के आध्यात्मिक अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह ग्रंथ धर्म और सदाचरण के भारतीय जीवन दर्शन का विस्तार समग्रता में दिखाता है।
उन्होंने लिखा कि रामायण एक कालजई रचना है जो हमारे समाज की साझा चेतना का अभिन्न अंग है। उन्होंने लिखा है कि श्री राम मर्यादा पुरुष हैं, वे उन मूल्यों के साक्षात मूर्त स्वरूप हैं जो किसी भी न्यायपूर्ण और संतुलित सामाजिक व्यवस्था का आधार हैं।
दो सहस्त्राब्दी पूर्व लिखे गए इस महाकाव्य की महिमा के विषय में लिखते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा है कि रामायण के आदर्श सार्वभौमिक हैं जिन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक समाजों पर अमिट सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा है।
वेद और संस्कृत के विद्वान आर्थर एंटनी मैक्डोनल्ड को उद्दृत करते हुए वे लिखते हैं कि भारतीय ग्रंथों में जिन राम का वर्णन है वो मूलतः पंथ निरपेक्ष हैं और उन्होंने विगत ढाई सहस्त्राब्दी में जन सामान्य के जीवन और विचारों पर अमिट प्रभाव छोड़ा है।
उन्होंने लिखा है कि राम कथा देश विदेश के कलाकारों, कथाकारों, लोक कला, संगीत, काव्य, नृत्य के लिए अनुकरणीय कथानक रहा है। इस क्रम में उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के बाली, मलाया, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस जैसे देशों में राम कथा पर आधारित विभिन्न कला विधाओं का उल्लेख किया है, जो राम कथा की सार्वभौमिक लोकप्रियता का परिचायक है। इस महाकाव्य का अलेक्जेंडर बारानिकोव द्वारा रूसी भाषा में अनुवाद किया गया तथा रूसी थिएटर कलाकार गेनेडी पेंचनिकोव ने इसका मंचन किया।
कंबोडिया के प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर राम कथा को उकेरा गया है। तथा इंडोनेशिया के प्रंबनान मंदिर की राम कथा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रसिद्ध है। ये सभी विश्व के सांस्कृतिक पटल पर रामायण के प्रभाव को दर्शाते हैं।
उन्होंने लिखा है कि बौद्ध, जैन और सिक्ख परम्पराओं में भी राम कथा का समावेश किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषाओं में इस महाकाव्य के इतने सारे संस्करण होना, यह साबित करता है कि इस कथानक में ऐसा कुछ तो है जो उसे आज भी लोगों में लोकप्रिय तथा समाज के लिए प्रासंगिक बनाता है।
उन्होंने लिखा है कि श्री राम उन मर्यादाओं और गुणों के साक्षात मूर्ति हैं जिनके लिए हर व्यक्ति प्रयास करता है, हर समाज अपेक्षा करता है।
राम कथा के बारे में नायडू ने लिखा है कि यह वन गमन के दौरान राम के जीवन में हुई घटनाओं में गुंथी हुई उनकी मर्यादाओं की कथा है जिसमें सत्य, शांति, सहयोग, समावेश, करुणा, सहानुभूति, न्याय, भक्ति, त्याग जैसे सार्वकालिक सार्वभौमिक गुणों के दर्शन होते हैं, जो भारतीय जीवन दर्शन का आधार हैं।
नायडू ने लिखा है कि इन्हीं कारणों से रामायण आज भी प्रासंगिक है।उपराष्ट्रपति ने लिखा है कि महात्मा गांधी ने राम राज्य को ऐसी जन केंद्रित लोकतांत्रिक व्यवस्था के मानदंड के रूप में देखा जो शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, समावेशी सद्भाव तथा जन सामान्य के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहती है। उनका मानना है कि राम कथा समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए हमारी राजनैतिक, न्यायिक और प्रशासकीय व्यव्स्था के लिए एक अनुकरणीय मानदंड है।

Naryana Health Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.