कोरोना महामारी के बीच छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने एंटीबॉडी टेस्टिंग पर लगाई रोक
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कोशिशों में लगा रहा पलीता।
Positive India:Raipur: कोरोना का कहर जारी है। कोविड-19 के संक्रमण के चेन को ब्रेक करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने लॉक डाउन लगाया हुआ हैं। लाकॅडाउन को 28 तारीख से बढ़ाकर 6 अगस्त तक कर दिया है। इसी बीच 26 जुलाई 2020 को सीजी डीपीआर में क्रमांक//2835 के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों व स्वास्थ्य विभाग को एडवाइजरी जारी करते हुए उन निजी अस्पताल पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जो बिना अनुमति रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग कर रहे हैं। एक तरफ सुबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना महामारी से पार पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है, इसी तारतम्य में उन्होंने 22 से 28 जुलाई तक लाकॅडाउन लगाया, फिर उसे एक्सटेंड करके 6 अगस्त तक बढ़ाया है। पर वहीं 26 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग एक एडवाइजरी जारी करता है ताकि छत्तीसगढ़ में सर्वो सर्विलांस के लिए किए जाने वाला एंटीबॉडी टेस्ट ना हो सके। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टरों तथा सीएमएचओ को आदेशित किया है कि वह उन निजी लैब, प्राइवेट अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई करें जो एंटीबॉडी टेस्ट कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग हवाला तो आईसीएमआर की गाइडलाइंस का दे रहा है, परंतु 26 जून को रिलीज हुआ आईसीएमआर का गाइडलाइंस कुछ और ही कहता है। आईसीएमआर की गाइडलाइंस के मुताबिक सभी स्टेट्स को एडवाइजरी जारी हुई है कि कोई भी व्यक्ति अपना एंटीबॉडी टेस्ट करा सकता है जो आईसीएमआर की गाइडलाइंस को फॉलो करें ताकि वे वह अपना बचाव कर सकें इसके लिए किसी भी डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन की भी जरूरत नहीं है। पर लगता है छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग इस गाइडलाइन की अनदेखी करके, ऐसा फरमान जारी किया है जो सोच से परे है।
इतना ही नहीं मिनिस्ट्री आफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की सचिव प्रीती सुदान ने सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर यह आदेशित किया है कि सभी राज्य आईसीएमआर की गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए एंटीबॉडी टेस्टिंग सर्वो सर्विलांस के लिए अवश्य करवाएं। 1 जुलाई को लिखे हुए इस पत्र में साफ लिखा हुआ है कि कुछ स्टेट कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए सरकारी डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन की मांग कर रहे हैं, जो सर्वथा अनुचित है। इस महामारी को देखते हुए जितनी जल्दी टेस्टिंग हो सके वह करवाई जाए। इस पत्र के मुताबिक लैब को किसी भी व्यक्ति का टेस्ट करने के लिए फ्री करना चाहिए, आईसीएमआई की गाइडलाइन के मुताबिक; परंतु अफसोस! छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग किसी और दिशा में ही सोच रहा है। महामारी विस्फोटक की कगार पर पहुंचने वाली है।
कोविड-19 से बचने के लिए एक तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पुरजोर कोशिश कर रहे हैं परंतु वहीं दूसरी तरफ उन्ही का स्वास्थ्य विभाग उनकी कोशिशों पर पानी फेरते हुए प्रतीत हो रहा है।
सीजी डीपीआर में दिनांक 26 जुलाई को पब्लिश किया गया है कि राज्य शासन की अनुमति के बिना किसी भी निजी लैब या अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट नहीं किया जा सकता है। इसकी शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी। संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने जानकारी दी है कि आई.सी.एम.आर. (Indian Council of Medical Research) द्वारा रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की अनुमति केवल कोरोना वायरस संक्रमण के सर्विलांस के उद्देश्य से दी गई है। यदि किसी निजी लैब या अस्पताल द्वारा शासन की अनुमति के बिना इस तरह की जांच की जा रही हो तो संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तत्काल कार्यवाही कर संचालनालय, स्वास्थ्य सेवाएं को सूचित करें।
क्रमांक//2835//कमलेश