चिकित्सक दिवस पर उन चिकित्सकों को भावभीनी श्रद्धांजलि जिन्होंने चिकित्सक को परिभाषित किया
Happy Doctors Day to all doctors.
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज चिकित्सक दिवस है । मेरा सभी चिकित्सकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं । चिकित्सक दिवस रायपुर के वरिष्ठ चिकित्सकों को, उनकी सेवाओं को याद कर उन्हे सम्मानित करने का दिन है । पहले मैं यहाँ के आयुर्वेद चिकित्सकों को याद कर रहा हू । पहले मै अपने पिता डा.रामचन्द्र विनायक वाघ से ही शुरू कर रहा हू । विवेकानंद आश्रम के सामने ही उनकी क्लीनिक थी । पूर्ण रूप से आयुर्वेद की चिकित्सा, जिस पर उनको और उनके मरीजो को पूर्ण रूप से विश्वास था । फिर मै डा.गोस्वामी को याद कर रहा हू । काय चिकित्सा के प्रोफेसर गोस्वामी जी धोती कुर्ता पहने हुए,एक निष्णात वैद्य की भूमिका में हर समय रहे । फिर मैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पद्म श्री स्व.डा.महादेव प्रसाद पांडेय जिन्होने अभी तक अपनी सक्रिय भूमिका निभाई । इन तीनों मनीषियों को विनम्र श्रद्धांजलि ।
अब मैं होम्योपैथी के चिकित्सकों की तरफ रूख करूंगा । एक एमबीबीएस चिकित्सक ने कब होम्योपैथी की तरफ रूख किया, शायद उन्हे भी नहीं पता चला होगा । मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि स्व.डा.दिनकर भास्कर राजिमवाले साहब का ही प्रयास था, जिसके कारण डीएचबी डिप्लोमा धारी चिकित्सक गांव गांव तक पहुंच गयें । जब गांवो मे चिकित्सक नहीं थे, तब इस रात्रि कालीन महाविद्यालय के दो वर्षीय पाठयक्रमों का उन लोगों ने भी फायदा उठाया, जो दिन में सर्विस करते थे और रात में पढाई । कम से कम उन्हे मेडिकल की बेसिक शिक्षा मिल गई; जिससे आसपास के लोग लाभान्वित हुए । अब मै दूसरे होम्योपैथी चिकित्सक स्व.डा.बी .एम गुप्ता का उल्लेख करूंगा ।
डा.बी.एम गुप्ता जी भी एमबीबीएस चिकित्सक थे । उन्होंने विवेकानंद आश्रम मे अपनी निःशुल्क सेवायें दी । बूढापारा में भी इनके यहां पुराने मरीज ही ज्यादा रहते थे । उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति वृद्धाश्रम को दान कर दी ।
एक और चिकित्सक डा.भादुड़ी, जिन्होंने अपनी सेवाएं कचहरी चौक में दी, ये वो वो अड्डा था,जहां अमीर से लेकर गरीब तक के लोगों की भीड़ इलाज के लिए लगी रहती थी । वहां एक पेटी थी, जिसको जितनी श्रद्धा, डाले, जिसके पास नहीं है, तो कोई बात नहीं । चिकित्सक दिवस पर इन विभूतियों को भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि ।
अब उस पैथी पर जाया जाये, जहां जल्दी ठीक होने की क्षमता है। जहां बिमारी के डायग्नोस् होने की पूरी संभावना रहती हैं । मैं बात कह रहा हू ऐलोपैथी की । रायपुर में वरिष्ठ ऐलोपैथीक चिकित्सक रहे है। शायद ही मैं सबको अपने लेख मे ले पाऊं । मै सबसे पहले स्व.डा.टी.एन.दाबके सर की बात करूंगा । डा.दाबके चिकित्सा के क्षेत्र मे उस समय एक सबसे बडी शख्सियत थे । जहां वो अपने सामाजिक दायित्वों के लिए जाने जाते थे, वहीं उन्ही के प्रयासों के कारण ही रायपुर में विधि संकाय चालू हो पाया ।
श्रीमती कुसुम ताई दाबके विधि महाविद्यालय के कारण ही यहां के छात्रों को कानून की पढाई की सुविधा उपलब्ध हुई । तातयापारा मे श्रीमती कुसुम ताई दाबके मराठी शाला की भी स्थापना की । वे आरएसएस के रायपुर के सरसंघचालक थे ।
अब मै स्व.डा एम.आर भागवत की बात करूंगा। ब्राह्मण पारा के क्लीनिक मे कितनों को उन्होंने ने कितनो को ठीक किया होगा, इसका हिसाब रखना ही मुश्किल है । डा.साहब के पास दो कार थी दोनों के नंबर आज मुझे भी याद है । एक का नंबर 4488,और दूसरी गाडी का नंबर 8844 था। डॉ दाबके,उस समय रायपुर के प्रसिद्द चिकित्सकों में थे ।
आगे स्व.डा.धर्मकुमार दानी, फिर सततीबाजार मे स्व.डा.भालेराव थे । डा. भालेराव जी नेत्र रोग विशेषज्ञ थे । सदर बाजार में स्व.डा.मानिक जी थे । ब्राह्मण पारा मे ही स्व.डा.जे.जी झा थे जो आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे । कंकाली पारा मे स्व.डा रामजी बैस जी थे । आरएसएस के सक्रिय स्वंय सेवक थे । आज श्री रमेश बैस जी जो कुछ भी है उसमें बड़ी भूमिका डाक्टर साहब की है ।
तत्कालीन शारदा टाकीज के पीछे शारदा चौक में कुलकर्णी प्रसूति गृह था । रायपुर के लोगों के लिए बड़ा विश्वास का केंद्र था। स्व.श्रीमती डा.नलिनी कुलकर्णी अपने मरीजो के लिए समर्पित थी । वहीं स्व.डा.आर.के कुलकर्णी जी का शायद पहला पैथालॉजी लैब एम जी रोड पर था ।
दूसरी तरफ उस समय की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ स्व.डा.सुब्बाराव जी थी । बहुत मिलनसार व नेकदिल डाक्टर थी । जय स्तंभ चौक में वो क्लीनिक डाक्टर सूर की थी, यहां पर चश्में का नंबर तथा दांत की भी क्लीनिक थी ।
उस जमाने में भी किसी ने पहले सलाहकार चिकित्सक के रूप मे अपने को प्रतिस्थापित किया, वो कोई और नहीं स्व.डा जे.पी श्रीवास्तव जी थे । वे उस जमाने में एमडी थे ।
अंत मे डा.के.एम जनस्वामी बूढापारा का कमला देवी नेत्र चिकित्सालय छत्तीसगढ़ के लोगों की नेत्र के मामले मे आखिरी उम्मीद हुआ करती थी । लेख बड़ा हो रहा है। रायपुर के बहुत गणमान्य चिकित्सक छूट गये होंगे । मेरे तरफ से इन सभी श्रद्धेय चिकित्सकों को भावभीनी श्रद्धांजलि । ये लोग ही चिकित्सक के परिभाषा थे । अंत मे सभी चिकित्सकों को चिकित्सक दिवस की बहुत-बहुत बधाई । बस इतना ही
लेखक: डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर