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प्रकृति के भाव : बदले स्वभाव

कोरोना ने खोल दी , सबकी आंखें आज

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Positive India:बरेली;वैध फूलचंद्र शर्मा।

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प्रकृति के भाव 卐 बदले स्वभाव

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जन्म मृत्यु है सुनिश्चित,समय घड़ी पल जान।। हिलमिल के रहना सुजन,समय बड़ा बलवान।। मूढ मान्यताएं कई ,ध्वस्त दीखती आज।। कोरोना ने खोल दी,सबकी आंखें आज।। भीषण प्रकृति प्रवाह है,फैला सब संसार ।। तप त्याग संयम बिना, आये नहीं सुधार।। विकृति का माहौल जग, अतिशय बढ़ता जाय ।। निज प्रकृति को बदल लो, यही एक उपाय ।। सब जीवों से प्रेम कर , मत कर अत्याचार।। आदत अपनी बदल लो, यह सच्चा आचार ।। पैसा पद अरू प्रतिष्ठा, विद्ता का ढोंग।। नीति कहती है सदा,ना गा इसके सोंग।। प्रकृति साक्षी जगत की,कर्मों के फल देत।। बिन भोगे न मिटत है, भर दो खड्डा रेत।।

लेखक- वैध फूलचंद्र शर्मा-बरेली ।

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