Positive India:Rajesh Jain Rahi:
राम जी निवास हेतु, पूछते हैं वन श्रेष्ठ,
बाल्मिकी कहने में, जरा सकुचाते हैं।
जल में हैं, थल में हैं, आप पल-पल में हैं,
प्रभु पूरी वसुधा को, आप ही बसाते हैं।
भावना में आप प्रभु, साधना में आप प्रभु,
सत्य, धर्म, न्याय जहाँ, आप बस जाते हैं।
चित्रकूट की है घाटी, मंदाकिनी की है माटी,
अनसूया के नयन, आपको बुलाते हैं।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर