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ये है मोदी का भारत! जो चीन की हिमाकत को रौंद सकता है

India is capable of giving befitting reply to China.

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
इस समय भारत दो मोरचो पर लड़ रहा है । एक तरफ कोरोना की महामारी से लड़ रहा है और दूसरी तरफ चीन के चलते लद्दाख की सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है । पर भारत के मजबूती से चीन भी इससे अपरिचित नहीं है । चीन कोरोना के कारण हुए अपने तरफ के ध्यान को सीमा पर ले जाना चाहता है । पर इसमे वो कामयाब नहीं होगा । चीन ने वैसे भी दो साल पहले भूटान को परेशान करने के लिए डोकलाम का हौव्वा खड़ा किया था । सत्तर दिन के लंबे नाटक के बाद चीन वापस लौट गया था । उस समय भी चीन दमखम के साथ खड़ा दिखा, आखिरकार चीन को बगैर किसी आश्वासन मिले खाली हाथ लौटना पड़ा। आज तो स्थिति और अलग है ।

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आज चीन पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ा हुआ है । आज पूरा यूरोप और अमेरिका उसके दुश्मन बने हुए हैं । अभी तो उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाना इनका पहला ध्येय है । वहीं बाहर की कंपनियां चीन छोड़कर भारत का रूख कर रही है । जिससे उसका पूरा गुस्सा भारत पर निकल रहा है । हालात तो यह है उसके प्यादे भी बगैर चाल चले वापस हो रहे है । यही कारण है कि नेपाल ने अपने नक्शे मे भारत के भूभाग को भी अपना बताया था । पर बात आगे बढे उससे पहले अपना कदम वापस लिया । किसी दूसरे के लिए अपने संबंध क्यो खराब करे । यही हाल श्रीलंका का भी है । आज चीन का एकमात्र दोस्त पाक ही है जो उसी के खैरात के चलते दोस्ती का फर्ज निभा रहा है ।

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आज भारत भी 1962 का भारत नही रहा है । तब उसके सामने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू जी थे । अब उनके सामने श्री नरेन्द्र मोदी जी है । यही कारण है कि चीन भारत की परीक्षा लेना चाहता है । कूटनीति के मामले मे मोदी जी का कोई सानी नहीं है । जिस इजरायल को भारत की कोई भी सरकार खुलकर समर्थन अरब देशों के कारण नहीं कर पाती थी उस मिथ्या को मोदी जी ने तोड़ा और इजरायल की ऐतिहासिक यात्रा, भव्य स्वागत के बीच की थी । इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी भारत की यात्रा की । आज तो इजरायल रक्षा के शस्त्रों का सबसे बड़ा निर्यात करने वाला देश है । और भारत के समर्थन में खुलकर सामने आने वाले देशों में इजरायल भी प्रमुख हैं ।

मोदी जी ने कूटनीति के मामले में अरब देशों में भी अपनी विश्वसनीयता बनाये रखी है । यही कारण है कि मोदी जी को वहां के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है । हमारा इनसे भी काफी बड़ा आर्थिक व्यापार है । हालात तो यह है कि मुसलमान होने का जो राग पाकिस्तान आलाप रहा है, उसके बाद भी अरब देश भारत के साथ खड़े नजर आते हैं । अफगानिस्तान भी भारत के साथ दिखता है ।

चीन की परेशानी यह भी है कि उसकी सीमा जहां जहां लग रही हैं, वहा के पूरे देश भारत के साथ खड़े है । फिर चाहे जापान हो, बर्मा हो, ताईवान हो सब भारत के साथ इस मामले में साथ खड़े है । सभी को चीन के साथ परेशानी है । भारत का हांगकांग के लोकतंत्र के आंदोलन को खुला समर्थन है।

अब तो तिब्बत को आजाद करने का काम अमेरिका ने चालू कर दिया है । इससे तिब्बत के लोग खुलकर आंदोलन करेंगे । आने वाले दिनों में कहीं चीन भी तीन देशो मे विभाजित न हो जाये । इसमे तिब्बत, हांगकांग, चीन ये तीन देश है । आर्थिक रूप से टूटते हुए चीन को यह बर्दाश्त नही हो रहा है ।

चीन को भारत से लड़ने मे दस बार सोचना होगा । आने वाले दिनों में कहीं बातचीत का हवाला देकर चीन अपनी सेनाएं वापस बुला ले, तो कोई बड़ी बात नहीं है । उसका पड़ोसी देश रूस भी अमेरिका से दुशमनी होने के बाद भी, भारत के कारण इस मामले से दूरी बनाकर रखे तो कोई आश्चर्य नहीं । यही कारण है कि चीन अलग थलग पड़ चुका है ।

अब वो दिन दूर नहीं जब भारत 1962 मे हारी हुई जमीन की वापसी की मांग चीन से करे । पीओके पर अपने कब्जे की बात भारत ने की है , चीन को इसकी भी ज्यादा चिंता है क्योकि सी पैक मे की बिलियन डालर फंसे हुए हैं , जिससे आगे चलकर हाथ धोना पड़ सकता है । अभी चीन बहुत बडी दुविधा मे फंसा हुआ है । इसे कहते हैं ” अब आया ऊंट आया पहाड़ के नीचे ” । जब कानून मंत्री कहते हैं कि यह नरेंद्र मोदी जी का भारत है, कोई उसे आंख न दिखाये । यह बात तय है मोदी जी है तो सब मुमकिन है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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