Positive India:Rajesh Jain Rahi:
(प्रसंग- मात शारदे द्वारा मंथरा की बुद्धि फेरने के संबंध में)
मात शारदे ने नहीं, मंथरा को कुछ कहा,
पापी मंथरा के काले, मन में विकार है।
मति शारदे ने फेरी, देवों ने करी चिरौरी,
कथ्य ‘तुलसी’ का मुझे, नहीं ये स्वीकार है।
शब्द सुविचार दिए, प्यारे संस्कार दिये,
शारदे का कैसे कहूँ, कितना उधार है।
राम-गुण श्याम-गुण, प्रीत वाली मीठी धुन,
एक नहीं शारदे के, कई उपकार हैं।
लेखक:कवि राजेश जैन राही- रायपुर ।