हर्बल खेती होगी अब 25 लाख एकड़ जमीन पर
मोदी सरकार ने हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए 4000 चार हजार करोड़ का किया प्रावधान।
Positive India:डॉ राजाराम त्रिपाठी,16 मई 2020:
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कृषि उपज के रखरखाव, परिवहन एवं विपणन सुविधाओं के बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपए के कृषि ढांचागत सुविधा कोष की, डेयरी उद्योग के लिए 15 हजार करोड़, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़ , मछुआरों के लिए 20 हजार करोड़, मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ तथा देश में दस लाख हेक्टेयर जमीन पर औषधीय पौधों की खेती के लिए जाने हर्बल खेती के लिए 4000 करोड़ की घोषणा की.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एलानों पर जैविक हर्बल कृषक और आईफा के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि खेती-किसानी के लिए एक समग्र पैकेज की जरूरत थी, जिसे पूरा करने की कोशिश की गई. उन्होंने केंद्र सरकार की घोषणाओं का स्वागत किया.राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि 74 हजार 300 करोड़ रुपए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए प्रावधारित किया गया है. ये राशि क्या केंद्र की एजेंसियों के जरिए किसानों का उत्पादन खरीदेगी या राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने के लिए देगी, इसे स्पष्ट होना बाकी है. राजाराम त्रिपाठी ने ये भी कहा कि छत्तीसगढ़ तथा अन्य जो भी मुख्य रूप से कृषि पर आधारित राज्य है, उन्ह इसे भी इसका फायदा जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने आईफा के कई सुझावों पर काम किया है. उन्होंने ये भी कहा कि हमें बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि किसानों की जो खड़ी फसलें लाकडाऊन के कारण खराब हुई हैं, इन योजनाओं से हमारे उन अन्नदाताओं को कोई सीधा फायदा नहीं होने वाला. इसलिए ऐसे किसानों को तत्काल फायदा मिले, इस पर सरकार को विचार करना चाहिए.
पच्चीस प्रतिशत बढ़ाकर न्यूनतम खरीद मूल्यों पर किसानों के उत्पाद खरीदे जाएं। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में सुधार किया जाएगा. इस पर कृषि विशेषज्ञ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि न्यूनतम खरीद मूल्य से कम दर पर अगर किसी किसान का उत्पाद , किसी के भी द्वारा खरीदा जाए, तो इसके लिए दंड का प्रावधान होना चाहिए.
‘छत्तीसगढ़ में हो हर्बल उत्पादों की खेती:- ‘हर्बल उत्पादों की खेती पर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि 2001 में छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का हमारे कोंडागांव स्थित “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म” पर आगमन हुआ था । उन्होंने हर्बल की खेती को पूरी बारीकी से देखा समझा , इसके पश्चात माननीय अजीत जोगी जी की पहल पर छत्तीसगढ़ को विधानसभा में ”हर्बल राज्य” घोषित किया गया, पर संभवत राजनीतिक विद्वेष वश आगे चलकर उस दिशा में कुछ भी कार्य नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकारों को हर्बल की खेती पर जोर देना चाहिए. कृषि विशेषज्ञ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि 44 फीसदी जंगल जिस राज्य में हों, जहां के ज्यादातर जिले आदिवासी बहुल हों, वहां की सरकारों के पास अगर हर्बल की खेती का रोडमैप न हो, तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यजनक कुछ नहीं हो सकता.कलस्टर अभिधारणा को राजाराम त्रिपाठी ने बेहद अच्छा बताया. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर या सरगुजा में शुरूआत में कोई नया काम करने के लिए किसान तैयार नहीं होते, इसलिए शुरुआत में प्रगतिशील किसानों को इस योजना से जोड़ना चाहिए, बाद में उनके नेतृत्व में क्लस्टर का निर्माण करके इस खेती को विस्तार दिया जा सकता है. इस अवधारणा का स्वागत है. यहां हल्दी, कालीमिर्च, मसाले, मूसली, स्टीविया, चाय और कॉफी की खेती की संभावनाएं हैं. यहां जैव विविधता और जलवायु विविधता दोनों बेहतरीन हैं.
*”हर्बल खेती”
बस्तर के हर्बल किसान राजाराम त्रिपाठी के 25 साल के एकल संघर्ष ने आखिरकार “हर्बल खेती” को देश के एजेंडे पर ला ही दिया । आज केंद्र सरकार ने कुल 1000000 हेक्टेयर जमीन पर हर्बल की खेती के लिए 4000 करोड रुपए का प्रावधान किया है इस राशि में से पर्याप्त राशि इस प्रदेश को मिलनी ही चाहिए तथा यहां हर्बल की खेती को हर हाल में बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
*गौठान योजना का स्वागत* : राष्ट्रीय पैकेज में पशुपालन के लिए 15000 करोड़ के प्रावधान राशि के संदर्भ में राजाराम त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ की गौठान योजना का जिक्र करते हुए इस योजना का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं के कारण प्रदेश ही नहीं पूरे देश के किसान परेशान हैं। यह एक अच्छी सोच के साथ बनाई गई अच्छी योजना है, लेकिन इसके लिए भी सरकार को इसकी सक्षम कार्यान्वयन व सतत मॉनिटरिंग पर ध्यान देना होगा, नहीं तो अन्य सरकारी योजनाओं की तरह इसे भी नया चरागाह समझ कर अधिकारी और भ्रष्ट नेता मिलकर चर जाएंगे।
पशुपालन में बुनियादी ढांचा सुधारने के लिए विकास फंड को इकाई बनाने का फैसला किया गया है. इस ढांचे के विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का फंड दिया जा रहा है, छत्तीसगढ़ को इससे भी काफी फंड मिलने की उम्मीद है. कृषि विशेषज्ञ ने इसका भी स्वागत किया.
*मछली पालन के लिए 20 हजार करोड़ और मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़* : इन घोषणाओं का भी कृषि विशेषज्ञ राजाराम त्रिपाठी ने स्वागत किया है. उनका मानना है कि छतीसगढ़ तालाबों , पोखरों, नदी नालों का प्रदेश है ।
यहां बहुसंख्य मछुआरा समितियां बेहद सीमित साधनों में भी बहुत अच्छा कार्य कर रही है। उन्हें और सशक्त बनाने की आवश्यकता है तथा छत्तीसगढ़ से मछली निर्यात की बहुत बड़ी संभावनाएं है।
मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों के लिए 500 करोड़ रुपए का पैकेज: इस पर उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन शहद का उपयोग करने वालों के लिए ही नहीं बल्कि किसानों की अनाज , फलों व सब्जियों के खेतों में समुचित परागण के लिए भी बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि शहद हमारे देश में बहुत बिकता है. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में गुणवत्ता के दृष्टिकोण से सर्वश्रेष्ठ शहद छत्तीसगढ़ में मिलता है. बस्तर, सरगुजा, अमरकंटक के शहद का कोई जोड़ नहीं है। मधुमक्खी पालन तथा शहद के विकास हेतु आवंटित 500 करोड़ रुपए में से भी प्रर्याप्त राशि छत्तीसगढ़ को मिलनी चाहिए.. उन्होंने कहा कि सरकार इस लाकडाउन से हुई नुकसान से पीड़ित किसानों के दर्द को और समझे यही उम्मीद की जा रही है.
लेखक:डॉ राजाराम त्रिपाठी-राष्ट्रीय संयोजक,
अखिल भारतीय किसान महासंघ।