Positive India:Rajesh Jain Rahi:
राम के चरण अब, आ गए हैं लंका तक,
दशानन देख कर, देखो घबराया है।
मेघनाथ की जुबान, चलती है तेज पर
मुखडे के तेज पर, काली-काली छाया है।
एक हनुमंत ने ही, फूँक दी थी लंका सारी,
आज साथ साथियों का, दल पूरा आया है।
धर्म की स्थापना हो, सत्य की आराधना हो,
राम ने धनुष न्याय, हेतु ही उठाया है।
लेखक:राजेश जैन राही, रायपुर
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