कोरोना संकट: मूक बधिर बच्चों ने चित्रों के जरिए कहा सुरक्षा के लिए मास्क पहनिये
कोरोना काल में श्रवण बाधित विद्यार्थियों ने ऑनलाइन क्लास में दिखाई प्रतिभा।
Positive India:Raipur;16 April:
कोरोना संक्रमण का प्रभाव पूरे विश्व सहित भारत में देखा जा रहा है। कोविड-19(COVID-19) से बचाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी(PM Modi) सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल(CM Bhupesh Baghel) ने भी सभी लोगों से लाॅकडाउन(Lockdown)में रहने और मास्क(Mask) पहनने की अपील की है। छत्तीसगढ़ के शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय के मूक-बधिर विद्यार्थियों ने कोरोना संकट(Corona Crisis) के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अपने अनूभूति के रंगों को तूलिकाओं के जरिए प्रदर्शित किया है। उन्होंने चित्र के माध्यम से कोरोना संक्रमण की व्यापकता को दिखाते हुए मास्क पहनकर सुरक्षित रहने का संदेश दिया है।
यह चित्र बी.एफ.ए.(बैचलर आॅफ फाइन आर्ट्स) के विद्यार्थी बलराम सिंग, गौरव, हेम प्रकाश, बप्पा राय, लिंगेश्वर, सुश्री ओम श्रद्धा और सुश्री धनेश्वरी ने ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान तैयार किये हैं।
उल्लेखनीय है कि नोवेल कोरोना वायरस(Novel Coronavirus) के संक्रमण को देखते हुए दिव्यांग कल्याण की सभी संस्थाओं में ऑनलाइन पढ़ाई करायी जा रही है। इसके लिए वाॅट्सअप समूह बनाए गए हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को कोरोना(Corona) संक्रमण और उसके बचाव के तरीकों के बारे में बताया जा रहा है।
ऑनलाइन पढ़ाई के लिए शिक्षकों ने पाठ्यक्रम अनुसार विषयवार ऑडियो-वीडियो तैयार किया है। शिक्षकों द्वारा मूक-बधिर बच्चों को साइन लैग्वेज और दृष्टिबाधित बच्चों को रिकाॅर्डिंग के माध्यम से मार्गदर्शन दिया जा रहा है। सुबह 10 बजे कक्षावार पढ़ाई शुरू की जाती है। शिक्षकों द्वारा रिकाॅर्डिंग भेज कर विद्यार्थियों को अभ्यास कराया जाता है,और मार्गदर्शन दिया जाता है। सुबह की कक्षाओं में मार्गदर्शन अनुसार शाम को बच्चों द्वारा दिए गए टास्क को पूरा कर दिखाया जाता है।
राजधानी स्थित शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती शिक्षा वर्मा ने बताया कि काॅलेज में वर्तमान में 38 दिव्यांग बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से 17 विद्यार्थी मूक-बधिर और 21 विद्यार्थी दृष्टिबाधित हैं। महाविद्यालय में मूक बधिर बच्चों के लिए बी.एफ.ए.(बैचलर आॅफ फाइन आर्ट्स) और दृष्टिबाधित बच्चों के लिए बी.पी.ए..ए. (बैचलर आॅफ परफाॅर्मिंग आर्ट्स) की कक्षाएं चलाई जाती हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई से बस्तर, देवभोग, कोरबा जैसे दूर-दराज इलाकों में घरों में रह रहे बच्चों की भी सुचारू रूप से पढ़ाई हो रही है। उन्होंने बताया कि शुरूआत में एक-दो बच्चों ने रूचि दिखाई पर धीरे-धीरे अधिकांश बच्चे ऑनलाइन सक्रिय होने लगे। अब विद्यार्थी शौक से पढ़ाई कर रहे हैं और अपने वीडियो भी पोस्ट कर रहे हैं।