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बिन राम जानकी को, कुछ नहीं भाता है

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
(अशोक वाटिका)

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फूल जैसे मुखड़े पे, आंसुओं की धार बहे,
बिन राम जानकी को, कुछ नहीं भाता है।

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मन में लगन बस, प्यारे प्रभु राम जी की,
नींद उड़ी भूख से भी, टूट गया नाता है।

नाम है अशोक पर, शोकग्रस्त वाटिका है,
पपीहा भी यहाँ बस, पिया-पिया गाता है।

हनुमंत आ गए हैं, लांघ कर सप्तसिंधु,
राम का संदेशा देखो, कब मिल पाता है।

लेखक:कवि राजेश जैन राही, रायपुर

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