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निर्भया के दरिंदों को मिली फांसी। तथाकथित ह्यूमन राइट्स वाले परेशान

Nirbhaya gang rape accused hangeg

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आखिरकार बीस मार्च को सबेरे साढ़े पांच बजे निर्भया के चारो दरिंदो को फांसी लटका दिया गया । अंत मे देश को और निर्भया के परिवार को इंसाफ मिल गया । जहां एक ओर इस निर्णय से लोगो मे संतुष्टि है, वही दूसरे खेमे मे बेचैनी है। उन्हे इस बात का दुख है कि उन्होंने अपनी पूरी कोशिश कर ली पर उन्हे बचा न सके । यहां तक बेशर्म लोग अंतरराष्ट्रीय कोर्ट तक चले गए। पर दुर्भाग्य से इन्हे कोई सफलता नही मिली । इन ह्यूमन राइट्स वालो की तारीफ करनी होगी, ये लोग अपनी खंदक की लड़ाई आखिरी दम तक लडते है । इनका बस चले तो ये लोग दुर्दांत अपराधियो के बदले खुद ही लटक ले, पर अपराधियो को कुछ न होने दे।

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निर्भया के चारो गुनाहगार तो फांसी पर लटक गये पर अब यह तथाकथित ह्यूमन राइट्स वाले लोग क्या करेंगे ? चर्चा मे बने रहने के लिए इस तरह के केस जहां इनको संजीवनी देने का काम करते है, अब फैसला होने के बाद इसकी कमी इन्हे खलेगी ।

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पर हमारा देश ऐसा है कि इन्हे यहां कामो की कमी नही रहती । इनकी जमात को अब दिल्ली दंगो मे शामिल खूंखार अपराधियो के ह्यूमन राइट्स के लिए फिर से थोक के भाव से काम मिलेगा । ह्यूमन राइट्स के झंडाबरदारो को आई.बी अफसर अंकित शर्मा को चार सौ बार चाकूओ से गोदकर, नाले मे फेकने वाले अपराधियो की मानवता के आधार पर सेवा करने का शुभ अवसर प्राप्त होगा । अब निर्भया के परिवार वालो की तरह अब शहीद अंकित के परिवार वालो को भी इसी यंत्रणा से गुजरना होगा । इनके लिए तो ह्यूमन राइट्स मात्र चर्चा मे बने रहने के लिए सिर्फ एक खेल है । पर इस खेल मे देश के संविधान और कानून का कितना मजाक बनता है, इससे ये भी अच्छे से परिचित है । इसलिए निर्भया के मामले मे भी चार बार फांसी की सजा सुनानी पड़ी । यही खेल की पुनरावृति इस देश वासियो को पुनः देखने को मिलेगी ।

ये तथाकथित ह्यूमन राइट्स वाले लोग काफी भाग्यशाली है। अब इन्हे दिल्ली दंगो में शामिल दुर्दांत अपराधियों की सेवा करने का मौका मिलेगा । अब इस देश को सेक्यूलर और ह्यूमन राइट्स का काकटेल देखने को मिलेगा । यह काकटेल दिल्ली के दंगाईयो को अपने तरफ से पूरी तरह से बचाने की कोशिश करेगी। चलो आने वाले दिनो मे यह जमात क्या गुल खिलायेगी देश को पुनः देखने को मिलेगा। फिर आगे और कभी।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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