Positive India:Rajesh Jain Rahi:
बहुमत रातों-रात, हाथ से फिसलता है,
लाडले विधायक जी, हाथ नहीं आते हैं।
हाथ मलता है कोई, दाँव चलता है कोई,
कहीं पड़े सूखा कहीं, फूल खिल जाते हैं।
रंग राजनीति वाले, देखकर आजकल,
रंग व अबीर होली, वाले शरमाते हैं।
गले मिलते हैं पर, दिल नहीं मिलते हैं।
दिखते हैं दूर वही, मिलते मिलाते हैं।
लेखक:कवि राजेश जैन राही-रायपुर।