काले पानी की वाईपर जेल का अनकहा सच। प्रथम किस्त
वाईपर जेल के क्रांतिकारियों की सच्ची कहानियां
Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
काले पानी की जानकारी देने के लिए मैं आपको इतिहास के पीछे ले जा रहा हूँ । पहले ही मै आपको स्पष्ट कर दूँ कि यह जानकरी मुझे स्थानीय लोगो से और गाईड के माध्यम से मिली है । 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, जिसे अंग्रेजो ने गदर कहा, ने अंग्रेजों को अंदर से हिला कर रख दिया था । इसलिए इस स्वतंत्रता संग्राम को कैसे कुचला जाए, उसके लिए उन्होंने हर तरह के निर्मम रास्ते अपनाये । उसमे विशेषकर मानसिक व शारीरिक दोनो यातनाएं शामिल थी । ऐसा कर वो कुछ सफल भी हुए, पर देश मे मौजूद क्रांतिवीर लोगों ने अंग्रेजो के शासन की चूले हिला दी थी । इसलिए अंग्रेजो ने 1858 मे इस पहली खुली जेल की स्थापना की थी ।
अंग्रेजों ने पहले वाईपर आईलैंड को चुना, जिससे यहाँ पर कैदी को खुला भी छोड दे, तो उन्हे कोई डर नही था । चारो तरफ पानी से घिरे इस वाईपर द्वीप समूह से कैदी भाग कर भी कहां जाएगा ? अगर भाग भी गया तो मौत निश्चित है । कहते यह द्वीप किसी अंग्रेज के नाम पर वाईपर पर रखा गया है। वहीं यह भी कहा जाता है कि यहा वाईपर सांपो की अधिकता के कारण इस द्वीप समूह का नाम वाईपर पड़ा । यह द्वीप करीब 129 sq ml का क्षेत्रफल है। वाइपर जेल में सबसे पहली फांसी उड़ीसा के महाराजा हरिकृष्ण को दी गई । वहीं दूसरी फांसी शेरअली को दी गई । दुर्भाग्य से इसकी इतिहास मे कोई भी जानकरी नही है । इन स्वतंत्रवीरो का कोई भी उल्लेख नही है । जब मैं पानी के जहाज से वाईपर आईलैंड पहुंचा, तो इस द्वीप की सुंदरता अपनी कहानी बयां कह रही थी, और वाईपर जेल इतिहास के क्रांतिकारियों व शहीदो की कहानी भी बयां कर रही थी ।
आज इकसवी सदी मे भी यह अंचल देश से कटा हुआ है । इतनी तरक्की करने के बाद आज भी नेटवर्क बड़े मुश्किल से मिलता है वहीं वाई-फाई भी बड़ी जद्दोजहद के बाद मिलता है । आने के लिए मात्र दो ही साधन है, या तो हवाई जहाज से या फिर पानी जहाज से । फिर आज से सौ साल पहले क्या स्थिति रही होगी ? जो जल किसी भी इंसान के लिए अमृत होता है वही जल यहां आकर उसके काल का कारण बनता है । इसलिए इसे काले पानी की सजा कहा जाने लगा । यहां आकर उस समय ये क्रांतिकारी अपने परिवार से, देश से बिल्कुल कट जाते थे । आज वाईपर जेल पर ही मै विराम देता हू । यह रोचक जानकारी क्रमशः जारी रहेगी । लेख के साथ जो फोटो छप रही है, वो वाईपर जेल की है । क्रमशः
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपुर