कांग्रेस तथा वाम दल नागरिकता कानून पर बेनकाब
भाजपा ने जारी किया डॉ मनमोहन सिंह का वीडियो तथा प्रकाश करात का पत्र।
Positive India:Purshottam Mishra:
कांग्रेस,वामपंथी दल तथा अन्य विपक्षी पार्टियां नागरिकता कानून मामले पर बेनकाब हो चुकी हैं। नागरिकता कानून पर मचे घमासान के बीच भारतीय जनता पार्टी ने डॉ मनमोहन सिंह का वह वीडियो जारी किया है जिसमें राज्यसभा में नेता विपक्ष रहते हुए उन्होंने अटल जी की सरकार से मांग की थी कि बांग्लादेश तथा पाकिस्तान से धर्म के नाम पर प्रताड़ित होकर आ रहे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध इत्यादि को नागरिकता देने में भारत को और अधिक उदार होना चाहिए। यह मनमोहन मनमोहन सिंह द्वारा दिया गया कोई पॉलिटिकल स्टेटमेंट नहीं था बल्कि राज्य सभा में नागरिकता विधेयक पर चर्चा के दौरान कही गई बातें थी; और यह बातें रिकॉर्ड है वीडियो में। डॉक्टर मनमोहन सिंह कह रहे हैं, “मैं शरणार्थियों की स्थिति पर सवाल कर रहा हूं, तो यह भी कहना चाहता हूं कि देश के बंटवारे के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों नागरिकता देने के बारे में बहुत ज्यादा उदार होना चाहिए यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है”
नागरिकता कानून पर जबरदस्त हो हल्ला मचा रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रह चुके प्रकाश करात ने भी अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत की थी, उनकी भी चिट्ठी लिखित में है कोई पॉलिटिकल स्टेटमेंट या रैली की नहीं है।
नागरिकता कानून पर कांग्रेस, आप, माकपा, सपा, राकपा, तृणमूल कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियां देश मे हिंसा भड़का कर, देश को आग लगाकर इसका पॉलिटिकल माइलेज लेने की कोशिश कर रही है। इसी कोशिश में कांग्रेस दूसरे विपक्षी दलों को भी एकजुट करने की कोशिश कर रही है। परंतु वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा इससे जुड़े दल एकदम शांत है। वह शांत इसलिए हैं क्योंकि विपक्षी दलों का चेहरा बेनकाब हो रहा है। भारत के लोग यह जानने लगे हैं कि विपक्ष की राजनीति का चेहरा कितना वीभत्स बन सकता है। एक ऐसे मुद्दे पर, जिस पर मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है। नागरिकता कानून नागरिकता देने का है ना की नागरिकता वापस लेने का है; चाहे वह भारत का कोई भी नागरिक हो।
तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने एक कदम आगे बढ़कर यहां तक कह डाला है कि नागरिकता कानून पर जनमत संग्रह करवाया जाए, वह भी संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में! यह सभी विपक्षी नेता आने वाले समय में अपने अपने वजूद को बचाने के लिए भारत की जनता को ना सिर्फ बरगला रहे हैं बल्कि भारतीय सौहार्द में आग भी लगा रहे हैं।
एक आम भारतीय इस बात को बखूबी समझ रहा है कि इन दोहरे चरित्र वाले राजनेताओं का नागरिकता कानून से कुछ लेना-देना नहीं है। यह तथाकथित राजनेता सिर्फ और सिर्फ भड़का कर अपनी राजनीति की रोटियां सेकना चाह रहे हैं। इतना तय है कि जितना विरोध करते जाएंगे उतना ही वह अपनी राजनीतिक जमीन से दूर होते जाएंगे।
हैरानी की बात है विपक्षी दल भारत को सुलगा तो रहा है परंतु जो धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें भी यह नहीं मालूम है कि वह धरने और प्रदर्शन किस बाबत कर रहे हैं? यह नागरिकता कानून है क्या? क्योंकि उनकी पार्टी ने बोला को धरना प्रदर्शन करने आ गए। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां इस धरने प्रदर्शन में हिंसा भड़काने के लिए असामाजिक तत्वों का सहारा ले रही है, फिर चाहे मामला जामिया मिलिया इस्लामिया या जेएनयू का, नदवा कॉलेज का या फिर एएमयू का; विपक्षी पार्टियों का काला चेहरा चेहरा देश के सामने आ रहा है, क्योंकि यह सुनियोजित ढंग से देश के अलग-अलग भागों में उपद्रव करवा रहे हैं।