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गांधी की 150वीं जयंती का पुरस्कार रूट्स आॅफ पीस की संस्थापक/सीईओ हेदी कुह्न को दिया गया

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पॉजिटिव इंडिया:,नई दिल्ली, 14 अक्तूबर, 2019,

Zahra, age 10, accepts Gandhi Award on behalf of Heidi Kühn, who dedicated her medal to the ‘children of Afghanistan’ to live in peace.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर गांधी ग्लोबल फैमिली ने वैश्विक स्तर पर खनन क्षेत्रों को अंगूर के बगीचों और बगीचों में बदलने वाली एक गैर—लाभकारी मानववादी संस्था रूट्स आॅफ पीस की संस्थापक/सीईओ सुश्री हेदी कुह्न को प्रतिष्ठित गांधी सेवा मेडल देकर सम्मानित किया।
यह कार्यक्रम नेशनल गांधी म्यूजियम में आयोजित किया गया और वैश्विक स्तर पर साधनहीन समाज में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार दिए गए। पिछली बार पुरस्कार पाने वालों में दलाई लामा और अन्य वैश्विक नेता शामिल थे। सुश्री कुह्न ने अफगानिस्तान के उन बच्चों की ओर से प्रतिनिधित्व करने वाली 10 साल की छोटी बच्ची जाहरा के साथ यह पुरस्कार प्राप्त किया, जो बिना युद्ध के अपना भविष्य चाहते हैं।
महात्मा गांधी एक भारतीय वकील और राजनीतिक नीतिशास्त्री थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए अहिंसा का सफल आंदोलन चलाया और उनकी प्रेरणा से पूरी दुनिया में नागरिक अधिकारों तथा आजादी के लिए आंदोलन चलाए गए। गांधी ग्लोबल फैमिली के डॉ. एस. पी. वर्मा ने कहा, ‘शांति के मार्ग पर चलने के अपने सिद्धांतों से महात्मा गांधी ने डॉ. मार्टिन लूथर किंग, राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी, नेल्सन मंडेला को बहुत प्रेरित किया और यही वजह है कि हम हेदी कुह्न जैसे वैश्विक दूरदृष्टाओं को सम्मानित करते रहे हैं जिन्होंने शांति के लिए निडरता के साथ अपनी आवाज उठाई।’

हाल ही में अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव हुए और महज 20 फीसदी मतदान से अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई। ऐसा लगा मानो शांति वार्ता तथा शांति समझौते खत्म हो चुके हैं लेकिन रूट्स आॅफ पीस अफगानिस्तान में डटी रही और अच्छा काम करती रही।

वर्ष 2003 से रूट्स आॅफ पीस ने अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में 50 लाख से ज्यादा फलदार वृक्ष लगाने के लिए यूएसऐड, यूएसडीए, डीओडी, ईयू, एडीबी, जीटीजेड और विश्व बैंक के साथ भागीदारी की है जिसका असर 10 लाख किसानों और उनके परिवारों पर पड़ा है। अफगानिस्तान विश्व में सबसे ज्यादा खनिज पाए जाने वाले देशों में शुमार रहा है। चूंकि बारूदी सुरंगें हटा ली गई हैं इसलिए इस देश में युद्ध के विस्फोटक अवशेषों से भूमि अब मुक्त हो चुकी है जहां की 80 फीसदी आबादी कृषि व्यवसाय पर निर्भर रहती है। लगभग दो दशक से कुह्न नए बाजारों में ताजे फलों के निर्यात की आस में फसल उगाने के लिए अफगान के किसानों और उनके परिवारों की मदद करते हुए गर्व से उनके साथ काम कर रही है और अफगान का निर्यात 2019 के अंत तक 1 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस सप्ताह रूट्स आॅफ पीस ने 130 से अधिक अफगानी कारोबारियों की सैकड़ों भारतीय खरीदारों से मुलाकात के लिए यूएसऐड की वित्तीय सहायता से इंडियन—अफगानिस्तान इनवेस्टमेंट तथा ट्रेड शो आयोजित किया। इन दो दिनों में 400 लाख डॉलर से अधिक का कारोबारी सौदा हुआ जिसके तहत भारत के स्पार, फुडहॉल, रिलायंस तथा बिग बाजार जैसे बड़े सुपरबाजारों में अफगानिस्तान से ताजे फल, बादाम और मसालों के निर्यात पर समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप स्थायी शांति की राह खुली।

हेदी कुह्न ने कहा, ‘महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाते हुए मैं बहुत ज्यादा अभिमानित और सम्मानित महसूस करती हूं क्योंकि मानव इतिहास का यह दिन शांति के लिए ठोस कदम उठाने के लिए याद किया जाता है। हमने भूमिगत सुरंगों को हटाकर अंगूर के बगीचे लगवाए और सही मायने में युद्धभूमि में रह रहे वैश्विक परिवारों के लिए हमने माइन्स को वाइन्स में और तलवारों को हल में बदला है। साथ मिलकर हम पृथ्वी पर शांति की जड़ें (रूट्स आॅफ पीस) लगा रहे हैं।’
कुह्न को महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट स्थित गांधी समाधि, राजघाट, नई दिल्ली, भारत में 2 अक्तूबर 2019 को सुबह 7.30 बजे इंटरफेथ समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
पीआरन्यूजवायर— एशियानेट।

स्रोत: रूट्स आॅफ पीस

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