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स्थानीय निकाय चुनाव में ईमानदार तथा योग्य उम्मीदवारों की दरकार

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
स्थानीय निकाय के चुनाव सामने है । अपने को पार्टी का प्रत्याशी मानने वालो ने अपने तरफ से चुनाव की तैयारी भी चालू कर दी है । उनके होर्डिंग व बधाई संदेश से दीवार भरी हुई है । सब समाज सेवी मैदाने जंग मे उतर आये है । पर देश को भी, लोगो को भी, विशेष कर आम लोगो को स्थानीय निकाय के चुनाव की महत्ता समझनी चाहिए । शायद इसे हल्के मे लेकर वो गलती करते है जिसके दुष्परिणाम बाद मे चलकर हमे ही भुगतना पड़ता है । कम से कम स्थानीय निकाय के चुनाव मे इमानदार और योग्य लोग जीतते है तो वहा की फिजा ही अलग होती है ।

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पर दुर्भाग्य है पूरे राजनीति को और उससे मिलने वाले पद को लाभ का पद ही माना जाता है । कुछ नही करने वाले इन छोटे पदो मे जिस ठसके से रहते है वो देखने लायक रहता है । बड़ी बड़ी गाड़ियों से उनका रूतबा झलकता है, जिसका खामियाजा आगे चलकर हम और आपको भुगतना पड़ता है । दुर्भाग्य यह है कोई भी काम होता है तो उसकी बंदर बाट पहले तय हो जाती है । यह भी लुके छिपे नही खुल्लम खुल्ला होता है । यही कारण है कि लोग अभी भी अपने मौलिक अधिकार व आवश्यकता के लिए उन्हे हल्ला बोलना पड़ता है ।

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जन प्रतिनिधि वो होना चाहिए जो पहले अपने वार्ड या क्षेत्र मे पहले पूरा काम करा ले और अंत मे अपने यहां कराए । पर होता उल्टा है। पहले यह सुविधा अपने यहा उपलब्ध करा लेते है, बाद मे लोगो की सुध लेते है ।

आज पटना, मुंबई व पूना जैसे शहर देख लो, जो अपनी बेबसी की कहानी कह रहे है । जब थोड़े से ही पानी मे पूरा शहर ही जलमग्न हो जाये उससे ज्यादा शर्मिनदगी की बात क्या होगी? अगर आप ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान नही दोगे, जो स्थानीय निकाय का काम है तो ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ेगा । वही असमाजिक तत्वो द्वारा जमीन का कब्जा, निर्माण कार्य मे भ्रष्टाचार इसी सब का दुष्प्रभाव पूरे शहर को झेलना पड़ता है । काश हम छोटे चुनाव की महत्ता समझते तो इस भयावह स्थिति से बच सकते है ।

राजनीतिक पार्टियों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि इस चुनाव को पद संतुष्टि का माध्यम न बनाये । ऐसे लोगो को मौका दे जो जमीनी स्तर पर काम कर सके । अन्यथा जो नीतीश कुमार की हालत हो रही है वही हालत देखने को मिल जाए तो कोई बड़ी बात नही । पटना का कसूर वार कौन ? कुल मिलाकर इन परिस्थितियो का सामना अंत मे चलकर जनता को ही भुगतना पड़ता है । इसलिए पहले अपने ही जिम्मेदारी बनती है ।
लेखक: डॉ.चंद्रकांत वाघ अभनपुर ।

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