Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
एन एम सी बिल पास होने के बाद अब आयुर्वेद के चिकित्सक संघटनो को अपने अधिकारो के लिए खुलकर सामने आना चाहिए । वही शासन को भी इस बिल के पास होने के बाद वो सब अधिकार देना चाहिए जो उसने ऐलोपैथीक चिकित्सक को दे रखा है । सबसे पहले तो इन अधिकारो मे व्यवसाय बीमा का होना जरूरी है, क्योंकि किसी भी चिकित्सक से कभी भी मानवीय भूल हो सकती है । ऐसे स्थिति मे शासन ने बिल को जब राष्ट्रपति से हस्ताक्षर कर कानून का रूप दे दिया है, तो ऐसे हालात मे हम चिकित्सको का अधिकार बनता है कि बीमा रूपी सुरक्षा कवच मुहैया होनी चाहिए, जिससे इस पद्धति के चिकित्सक निश्चिंत होकर मरीजो की सेवा कर सके । वही दूसरा अधिकार हमे स्मार्ट कार्ड के जरिए चिकित्सा की सुविधा मिलनी चाहिए, जिससे निम्न व मध्यम वर्ग के लोग जो छोटे मोटे बिमारियों से ग्रसित रहते है उन्हे हम जैसे छोटे क्लीनिक चलाने वालो के पास यह सुविधा उपलब्ध रहेगी तो बड़े हास्पिटल जाने के बदले छोटे क्लीनिक मे उपचार होने से मरीजो को भी बहुत बड़ी राहत मिलेगी ।
यहाँ से अगर किसी मरीज को ठीक नही लगता तो वो बड़े हास्पिटल का रूख कर सकते है । इसके कारण पिछड़े इलाको मे निम्न वर्ग के लोग वही के वही अपना उपचार करने मे समर्थ होंगे । इस तरह के जनोपयोगी निर्णय निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वरदान साबित होंगे ।
अब तो मार्डन मेडिसिन वालो को भी दुराग्रह छोड़ देना चाहिए । इस बात को स्वीकार करने मे कही गुरेज नही कि इस पैथी के ही लोग ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ है । यही कारण है सरकार और सभी दलो को मालूम था कि इन पर बंदिश लगाने से देश के पिछड़े इलाको की स्वास्थ्य सेवाओ मे विपरीत प्रभाव पड़ता, इसलिए इन लोगो के इतने दबाव के बावजूद सरकार ने व्यवहारिक निर्णय लिया । इसके लिए मोदी सरकार साधुवाद की पात्र है । अब शासन को ऐलोपैथी चिकित्सा का अधिकार देने के बाद प्रायवेट संस्थानो के अधिकृत चिकित्सक का अधिकार भी देना चाहिए । वही जीवन बीमा निगम जैसे संस्थान के अधिकृत चिकित्सक के अधिकार भी मिलने चाहिए । कुल मिलाकर केंद्र व राज्य शासन वो सब अधिकार अब इस पैथी के चिकित्सक को भी दे । उम्मीद है इस विषय पर स्वास्थ्य मंत्री त्वरित कार्रवाई कर जनहित मे एक क्रांतिकारी कदम उठाऐंगे ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)